गांव के ही व्यक्ति ने जताई थी आपत्ति
शहर के समीपस्थ पंचायत विजयपुर सरंपच पद हेतु आदिवासी महिला के लिए आरक्षित किया गया था। लेकिन इस पंचायत के मतदाताओं की जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा जांच की गई जिसमें पाया गया कि उक्त पंचायत में एक भी आदिवासी मौजूद नहीं हैं। उक्त अभ्यावेदन जिला निर्वाचन अधिकारी सीधी की ओर प्रेषित किया, उसी दौरान अंतिम समय मे सुशीला नाम की महिला को गुलाब सिंह बनाकर नामांकन पेश किया गया। नामांकन पर उसी ग्राम पंचायत के लोगों द्वारा आपत्ति की गई आपत्ति में जिन बिंदुओं को लेख किया गया उसमें प्रमुख तौर पर विजयपुर निवासी रावेंद्र जायसवाल की पहली पत्नी को गुलाब जायसवाल होना बताया गया। पहली पत्नी स्वयं को गुलाब होना बताकर शपथ पत्र प्रस्तुत किया। नामांकन के साथ प्रस्तुत जाति प्रमाणपत्र के शपथपत्र में कहीं भी जाति का जिक्र नहीं किया।
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घर में शौचालय न होने से नामांकन निरस्त
आरोप है कि मूल आधारकार्ड का एडीटिंग कर सुशीला जायसवाल को गुलाब सिंह बनकर नामांकन प्रस्तुत किया गया था।अभ्यर्थी के घर में शौचालय न होने को लेकर भी आपत्ति दर्ज कराई गई थी। जब अभ्यर्थी से रिटर्निंग ऑफिसर ने अपने समक्ष बयान कराया तो अभ्यर्थी ने बयान दिया कि मेरे घर में शौचालय नहीं बना है, जिसकी जांच सचिव द्वारा कराई गई। स्थल पहुंचकर जांच में पाया कि अभ्यर्थी के घर में कोई शौचालय नहीं बना है, जो निर्वाचन नियमावली के विरुद्ध है।जिसके बाद महिला अभ्यर्थी का नामांकन निरस्त किया गया है। अब उक्त पंचायत में मात्र पंचों का निर्वाचन होगा।