ये था मामला
14 नवंबर 2014 को नीमकाथाना सदर में पीडि़ता के पिता ने मुकदमा दर्ज करवाया था। जिसमें बताया कि 11 नवंबर को वह मंदिर और पत्नी पड़ौस में गीतों में चली गई थी। पीछे से कोई व्यक्ति उसकी बेटी को उठाकर ले गया। जांच की तो शिंभुराम द्वारा उसे बाइक पर ले जाया जाना सामने आया। जिसके आधार पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया। कोर्ट में पीडि़ता ने बताया कि शिंभुराम ने उसके साथ पहले भी बलात्कार किया था और घर से ले जाने के बाद भी अपने भाई व भाभी की निगरानी में रख उसके साथ दुष्कर्म किया। इससे गर्भ ठहरने पर उसने एक बच्ची को भी जन्म दिया। इसी मामले में पक्ष व विपक्ष की बहस के आधार पर कोर्ट ने सोमवार को आरोपी शिंभुराम को भादंस 363, 366 तथा धारा 3/4 के तहत दोषी मानते हुए सजा सुनाई है।
विशिष्ट लोक अभियोजक कैलाश दान कविया ने बताया कि कोर्ट ने जुर्माने की पांच लाख रुपए की राशि पीडि़ता की बेटी को क्षतिपूर्ति के रूप में देने का अहम फैसला भी सुनाया है। फैसले में पीडि़ता को बाकी बचे 15 हजार रुपए का मुआवजा तथा दोनों मां- बेटी के लिए राजस्थान पीडि़त प्रतिकर योजना से भी अतिरिक्त प्रतिकर राशि दिए जाने की सिफारिश की गई है।
पोक्सो कोर्ट ने मामले में अनुसंधान अधिकारी को भी लापरवाह बताया है। फैसले में लिखा कि अनुसंधान अधिकारी जयसिंह तंवर ने घटना को लेकर कोई जांच नहीं की। नक्शा- मौका, पीडि़ता से बच्ची के जन्म तथा साक्ष्य जुटाने को लेकर भी लापरवाही बरती गई। जो अधिकारी की गैर जिम्मेदारी को साबित करता है।