
Success Story: नेत्रहीन मोहित ने सामान्य बच्चों के साथ पढ़ाई कर बोर्ड परीक्षा में हासिल किए 96.80 प्रतिशत अंक, फैलाना चाहता है शिक्षा का उजियारा
सीकर. मोहित जन्म से आंखों से नहीं देख सकता। पर उसकी लगन व मन की अगन ने सबकी आंखें खोल दी है। शत प्रतिशत नेत्रहीन मोहित ने सामान्य बच्चों के साथ पढ़कर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में 96.80 फीसदी अंक हासिल कर नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। वो भी तब जब कोरोना काल में उसकी पढ़ाई बाधित होने के साथ ऑनलाइन पढ़ाई का विकल्प भी उसे नहीं मिला। मोहित खेल, योग व संगीत के क्षेत्र में पहले ही नाम कमा चुका है। अब उसकी ये नई उपलब्धि प्रदेश के दिव्यांगों के लिए प्रेरणा की मिसाल बन गया है।
तीनों वैकल्पिक विषयों में विशेष योग्यता
मोहित शर्मा ने अपने तीनों वैकल्पिक विषयों में विशेष योग्यता हासिल की है। राजनीति विज्ञान, इतिहास व भूगोल विषय में बोर्ड से उसे विशेष योग्यता (डी) भी मिली है। कक्षा दसवीं में नेत्रहीन छात्र के 81 फीसदी अंक थे।
कोरोना काल में विकल्प नहीं, पर हौंसला रखा जारी
कोरोनाकाल में जब बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई जारी थी तो मोहित के लिए कोई विकल्प नहीं मिला। इस पर भी मोहित ने हिम्मत नहीं हारी। सीकर के कल्याण राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्र के रूप में मोहित ने खुद ही घर पर ब्रेल लिपि के सहारे सिलेबस को दोहराना शुरू किया। आखिरकार नतीजा में भी बेहतर निकला।
विशेष शिक्षक बनना चाहता है मोहित
अब मोहित का सपना विशेष शिक्षा में बीएड कर विशेष शिक्षक बनना है। पत्रिका से खास बातचीत में मोहित ने बताया कि विशेष शिक्षकों की देश में अभी भी काफी कमी है। ऐसे में वह खुद दिव्यांग बच्चों को पढ़ाकर उनके जीवन में रोशनी लाना चाहता है। नेत्रहीन कोटे में सीकर के मोहित शर्मा के सर्वाधिक अंक हासिल करने की भी आस है। मोहित ने अपनी सफलता का श्रेय पिता राकेश शर्मा, माता सरोज शर्मा व शिक्षकों को दिया है।
संघर्ष: जन्म से नेत्रहीन, नहीं मानी हार
मोहित जन्म से नेत्रहीन है। लेकिन इसके बाद भी पढ़ाई को लेकर हार नहीं मानी। पहले परिजनों के साथ कई शहरों में जाकर बे्रल लिपि सीखी। उन्होंने बताया कि कोरोना में मोबाइल ऑपरेट करना सीख लिया है। इसके सहारे पढ़ाई में काफी मदद मिली।
खेल व संगीत के मंच पर पर आगे
मोहित खेल व संगीत के क्षेत्र में भी महारती है। जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताओं में अव्वल रहने के साथ वह संगीत शिक्षा भी हासिल कर चुका है। प्रदेश व जिले के कई बड़े कार्यक्रमों में वह अपनी सुरीली आवाज में गीत व भजनों की प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर चुका है। इसके दम पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के साथ जिला प्रशासन व कई संस्थाओं की ओर से पुरस्कार भी मिल चुके है।
सीख: मन से करेंगे पढ़ाई, मिलेगी सफलता
पढ़ाई में एकाग्रता सबसे जरूरी है। किताब लेकर भले ही आप दस घंटे पढ़ाइ कर लें लेकिन जब तक मन से पढ़ाई नहीं होगी बेहतर परिणाम नहीं मिलेगा। इसके लिए सबसे पहले खुद पर यकीन करना होगा कि मैं यह कर सकता हूं। इसके बाद लक्ष्य के अनुसार मेहनत की जाए तो नेत्रहीन हो या सामान्य मंजिल की डगर कठिन नहीं है।
Blind Mohit studied with normal children and secured 96.80 percent marks in the board examination
Published on:
07 Jun 2022 10:44 am
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