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टूटे शीशे और खिड़कियां जाम: दावा निजी से प्रतिस्पर्धा का, रोडवेज बसों में सुविधाओं का टोटा

सीकर. राजस्थान रोडवेज जहां निजी बसों से प्रतिस्पर्धा का दावा करती है, वहीं हकीकत इससे उलट दिखाई दे रही है। रात्रिकालीन सेवाओं में सफर करने वाले यात्री सुविधाओं के अभाव से परेशान हैं। कई बसों में टूटे हुए शीशे और बंद न होने वाली खिड़कियां यात्रियों की मुश्किलें बढ़ा रही हैं।

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सीकर. राजस्थान रोडवेज जहां निजी बसों से प्रतिस्पर्धा का दावा करती है, वहीं हकीकत इससे उलट दिखाई दे रही है। रात्रिकालीन सेवाओं में सफर करने वाले यात्री सुविधाओं के अभाव से परेशान हैं। कई बसों में टूटे हुए शीशे और बंद न होने वाली खिड़कियां यात्रियों की मुश्किलें बढ़ा रही हैं। ठिठुरन भरी रातों में तेज सर्द हवा सीधे यात्रियों पर लगने से बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सबसे अधिक परेशान हो रहे हैं। यात्रियों का कहना है कि हालात इतने खराब हैं कि रोडवेज की नींद टूटने का समय आ चुका है। हालांकि पिछले दिनों रोडवेज ने आपणी बस- आपणी जिम्मेदारी नाम से अभियान चलाया गया था, लेकिन उसका असर जमीनी स्तर पर नजर नहीं आ रहा।

परिचालक अपने स्तर पर लगा रहे फॉग लाइट

सर्दी बढऩे के साथ ही हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में घने कोहरे का दौर शुरू हो गया है, लेकिन राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की कई द्रुतगामी बसों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव यात्रियों के लिए खतरा बढ़ा रहा है। इन बसों में कोहरे के दौरान सुरक्षित यात्रा के लिए फॉग लाइटें तो लगाई गई हैं, लेकिन अधिकांश बसों में ये लाइटें लंबे समय से खराब पड़ी हैं। दिल्ली, हरिद्वार मार्ग पर चलने वाले चालक बताते हैं कि रात से सुबह तक कोहरा घना रहता है, ऐसे में फॉग लाइटों के बिना बस चलाना जान जोखिम में डालने जैसा है। चालक व परिचालकों के जिम्मेदारों को जानकारी देने के बावजूद लाइटों की मरम्मत नहीं हो रही, इसके चलते मजबूरी में बिना फॉग लाइटों के ही धुंध में बसों को दौड़ाया जा रहा है। इससे किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है।

इन उदाहरणों से समझें परेशानी

केस एक: सीकर से फतेहपुर जाने वाले यात्री श्यामसुंदर पारीक ने बताया कि निजी बसों में कम से कम सभी खिड़कियां तो बंद होती हैं लेकिन सर्दी बढऩे के बावजूद रोडवेज ने बसों में सभी खिडकियां पूरी तरह से बंद नहीं होती है। ऐसे में सुबह सर्द हवाओं के कारण बस में ठिठुरने की मजबूरी होती है।

केस दो: झुंझुनूं के यात्री कमलेश ने बताया कि रोडवेज को लम्बी दूरी की बसों में सर्दी से बचाव के लिए इंतजाम करने चाहिए। दिल्ली, जयपुर जैसे मार्ग पर कई रात्रिकालीन बस में टूटे शीशे पर कागज और गत्ते चिपकाकर सफर करवाया जा रहा है। रात में सर्दी के कारण बच्चों को संभालना मुश्किल हो जाता है।

निर्देश दिए जाएंगे

लम्बी दूरी की बसों में फॉग लाइटें और अन्य सुविधाएं जल्द ठीक करवाई जाएंगी, जिससे यात्रियों को परेशानी न हो। बसों की मरम्मत प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, अनुबंधित बसों के संचालकों को भी नोटिस जारी कर सुविधाएं दुरुस्त करने के निर्देश जाएंगे। राजस्थान रोडवेज प्रबंधन यात्र्यिों की सुविधाओं को लेकर गंभीर है।

दीपक कुमावत, मुख्य प्रबंधक सीकर डिपो

विशेष सावधानी जरूरी

प्रदेश में सर्दी के मौसम में रात्रिकालीन बसों में धुंध के लिए जरूरी फॉग लाइट्स सुरक्षा उपकरण का काम करती है। रात्रि और अलसुबह के समय सड़क दुर्घटना का जोखिम लगभग 30 प्रतिशत बढ़ जाता है। यात्रियों सहित खुद की सुरक्षा के लिए चालक को बसों की रफ्तार कम रखनी पड़ती है। इससे लम्बी दूरी की बसें तय टाइम शिड्यूल तक नहीं पहुंच पाती है। इससे यात्रियों की परेशानी बढ़ जाती है। हालांकि कई बसों में स्टॉफ अपनी जेब से राशि खर्च करके फॉग लाइट लगाते हैं लेकिन यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्रदेश स्तर से फॉग लाइट की खरीद की जानी चाहिए। स्थानीय प्रबंधन को भी कोहरे वाले रूटों की बसों को लेकर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।

रामदेव टाकरिया, प्रदेशाध्यक्ष रोडवेज वर्कर्स यूनियन सीट