
करोड़ों के काम पर अफसरशाही का शिकंजा
जलदाय विभाग में वृत एवं खंड स्तर पर होने वाले कार्यों के टेंडर अब क्षेत्रीय कार्यालय से जारी होंगे। इससे कार्यों के पूरा होने में देरी का खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ेगा। पहले वृत व खंड स्तर पर एक करोड़ 20 लाख रुपए तक के टेंडर आमंत्रित किए जाते थे। इनमें स्थानीय ठेकेदार निर्धारित समय और राशि में टेंडर का काम पूरा कर देते थे। अब क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर आमंत्रित होने वाले टेंडर 10 करोड़ से अधिक के होंगे। टेंडर की राशि अधिक होने से स्थानीय ठेकेदार इन टेंडरों से बाहर हो जाएंगे। क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर टेंडर लगाने वाले ठेकेदारों से विभाग के उच्च अधिकारियों की सांठ गांठ होने के चलते जिला स्तरीय अधिकारियों का इन पर दबाव कम रहेगा। इसके कारण स्थानीय स्तर पर समय पर काम होना मुश्किल है। संभाग स्तर निविदाएं लगाने में भी अनावश्यक समय खर्च हो रहा है।
जेजेएम के कारण अटका कुंभाराम प्रोजेक्ट
इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार की ओर से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ हैं। न ही चीफ इंजीनियर ऑफिस से कोई निर्देश मिले हैं। क्षेत्रीय कार्यालय से हालांकि वर्तमान में जल जीवन मिशन के टेंडर हो रहे हैं। इसके अलावा विभाग के अन्य कार्यों के टेंडर वृत एवं खंड स्तर पर ही हो रहे थे। अब टेंडर क्षेत्रीय कार्यालय स्तर पर होने से समय और सरकारी का पैसा अधिक खर्च होगा। जल जीवन मिशन के कार्यों की बात करे तो कुछ समय पहले जिले में कुंभाराम लिफ्ट परियोजना के अटकने का मामला भी इसी से जुड़ा है। कुंभाराम लिफ्ट परियोजना में शामिल गांवों को जल जीवन मिशन में शामिल करने से प्रोजेक्ट अटक गया।
जेजेएम में गलत तरीके से लगे टेंडर
जल जीवन मिशन में टेंडरों की स्थिति को देखे तो कई टेंडर बहुत ही गलत तरीके से लगे हैं। किसी में बहुत कम तो किसी को जरूरत से अधिक गांवों को टेंडर में शामिल किया गया हैं। इतना ही नहीं टेंडर तो रीजन स्तर से बड़े ठेकेदारों को मिल जाता है। धरातल पर अपना मुनाफा निकालकर काम स्थानीय ठेकेदारों को ही सौंप देते हैं। धरातल पर ठेकेदारों के उपकरणों की जांच की जाए तो एक बड़ा खुलासा हो सकता है। क्योंकि टेंडर में हर ठेकेदार को अपने उपकरणों का भी लेखा जोखा देना पड़ता है, लेकिन वो धरातल पर नहीं मिलते हैं।
टेंडर प्रक्रिया में हो रही देरी
क्षेत्रीय कार्यालय में तीन महीने से टेंडर की प्रक्रिया चल रही है। आठ सितंबर को टेंडर लगाए गए, लेकिन अभी तक तकनीकी बिट तक नहीं खुली है। तकनीकी बिट खुलने के बाद टेंडरों की जांच होगी, इसमें भी समय लगने के आसार हैं। जिला स्तर पर टेंडर होते तो इतना समय नहीं लगता। अब क्षेत्रीय कार्यालय में अनावश्यक रूप से देरी की जा रही है। इससे परियोजना के कार्य धीरे होने से लोगों को पानी के लिए परेशानी होगी।
ठेकेदारों में आक्रोश
जिले में आठ से दस ठेकेदार हैं, जो लगातार ट्यूबवैल, पाइप लाइन व हैंडपंप सहित कई अन्य कार्यों के टेंडर लेते हैं। इन ठेकेदारों का कहना है कि पहले कम समय और कम पैसे में टेंडर में अच्छा काम हो रहा था। अब टेंडर की राशि बढऩे के साथ सरकार का राजस्व व समय अधिक खर्च होगा। मामले में स्थानीय ठेकेदारों में आक्रोश है।
लालचंद नेहरा, स्थानीय ठेकेदार
सरकार के आदेश की पालना कर रहे
राज्य सरकार के आदेश हैं कि जिले स्तर पर एक साथ टेंडर होने चाहिए। छोटे टेंडर से सरकार को नुकसान है, सरकार के आदेश की ही पालना की जा रही है। टेंडरों की तकनीकी बिट 29 नवंबर को ही खुल रही है। जिन ठेकेदारों को टेंडर जारी होंगे उनके पास पर्याप्त संसाधन होंगे। समय पर ही काम पूरा होगा।
अरुण कुमार श्रीवास्तव, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, रीजन कार्यालय जयपुर
Published on:
01 Dec 2022 12:32 pm
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