
सीकर. स्कूली बच्चे अब अपनी ठेठ स्थानीय भाषा में कविताएं भी पढ़ेंगे- सीखेंगे। नई शिक्षा नीति के तहत केंद्रीय शिक्षा व साक्षरता विभाग इसके लिए देशभर से लोक कविताओं का संग्रह कर रहा है। इसके लिए एक ऑनलाइन प्रतियोगिता रखी गई है, जिसमें कोई भी व्यक्ति लोक कविताओं को सरकार के पोर्टल पर अपलोड कर सकता है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने भी सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में पत्र जारी किया है।
लोक कविता संग्रह के लिए शिक्षा व साक्षरता विभाग ने प्रतियोगिता बालपन की कविता पहल के नाम से रखी है। इसमें भारतीय संदर्भ में सांस्कृतिक महत्व की कविताओं को ही आमंत्रित किया गया है। प्रचलित कविताओं के अलावा प्रतिभागी इसमें खुद की रचित रोचक कविता भी भेज सकते हैं। प्रविष्टियां भारतीय भाषा के अलावा अंग्रेजी में भी हो सकती है।
कविता प्रतियोगिता तीन श्रेणियों में रखी गई है। ये प्री-प्राइमरी (3 से 6 वर्ष आयु), ग्रेड 1 (6 से 7 वर्ष आयु) तथा ग्रेड 2 (7 से 8 वर्ष आयु) वर्ग में होगी। माई गवर्नमेंट पोर्टल के जरिये आवेदन 22 अप्रेल तक किया जा सकेगा। बेहतरीन रचनाओं को प्रमाण पत्र व नकद पुरस्कार दिया जाएगा।किताबों में भी शामिल हो रहे स्थानीय शब्दनई शिक्षा नीति की परिकल्पना के अनुसार छोटे बच्चे अपनी घरेलु या मातृभाषा में जटिल विषयों को आसानी से सीखते हैं। इस सोच के तहत पांचवी तक की पढ़ाई को भी मातृभाषा में करवाया जाना प्रस्तावित किया गया है। प्रारंभिक शिक्षा के बच्चे रोचक कविताओं के जरिये अपनी संस्कृति व आसपास की दुनिया से परिचित हो सके इसलिए अब लोक कविताओं का भी सहारा लिया जाएगा।
Updated on:
15 Apr 2025 12:04 pm
Published on:
15 Apr 2025 12:02 pm
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