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प्रदेश में बढ़ रही अमानक दवाओं की खपत, हर माह से आठ से नौ दवाओं की रिपोर्ट आ रही अमानक

प्रदेश में जिम्मेदारों की अनदेखी से अमानक दवाओं का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। जिससे निशुल्क उपचार की आस में आने में आने वाले मरीजों की सेहत बिगड़ने का खतरा बना हुआ है। औषधि नियंत्रण विभाग के अनुसार हर माह औसतन 8 से 9 दवा के सेम्पल की रिपोर्ट अमानक आ रही है।

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प्रदेश में बढ़ रही अमानक दवाओं की खपत, हर माह से आठ से नौ दवाओं की रिपोर्ट आ रही अमानक

प्रदेश में बढ़ रही अमानक दवाओं की खपत, हर माह से आठ से नौ दवाओं की रिपोर्ट आ रही अमानक


प्रदेश में जिम्मेदारों की अनदेखी से अमानक दवाओं का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। जिससे निशुल्क उपचार की आस में आने में आने वाले मरीजों की सेहत बिगड़ने का खतरा बना हुआ है। औषधि नियंत्रण विभाग के अनुसार हर माह औसतन 8 से 9 दवा के सेम्पल की रिपोर्ट अमानक आ रही है। चिंताजनक बात तो ये है कि कई दवा तो ब्लड प्रेशर और हार्ट के रोग का उपचार करने के काम आती है। चिकित्सकों के अनुसार इस प्रकार की दवा में मौजूद साल्ट की मात्रा कम या ज्यादा होने पर मरीज की जान को भी खतरा हो सकता है। इसके बावजूद जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण विभाग की ओर से समय पर सेम्पल नहीं लिए जाते हैं। जिसका नतीजा होता है कि सैम्पल की अमानक रिपोर्ट आती तब तक इन दवाओं की अधिकांश खपत हो चुकी है।

इनकी रिपोर्ट आई अमानक

औषधि नियंत्रण विभाग के अनुसार 28 दिसम्बर को ओरिसन फार्मा सिरमूर हिमाचल प्रदेश की पैंटप्राजोल एंड डोम्पेरिडोन सस्टेन रीलिज कैप्सूल ऑपिपेन-डीएसआर बैच नम्बर 23- ष्ट083 ्न, हिमाचल बद्दी के झारमाजरा स्थित गोपाल लाइफसाइंस की रेबीप्राजोल सोडियम एंड डॉम्पेरिडोन एसआर रीग्रेब-डीएसआर बैच नम्बर ष्ट-2301001, धार जिले की क्वेस्ट लेबोरेट्री की बीटामिथासोन सोडियम फास्फेट टेबलेट बैच नम्बर ञ्ज8936, हिमाचल के बद्दी की एथेंस लाइफ साइंसेज की एम्लोडिपिन व एटेनॉल टेबलेट एमो-एटी बैच नम्बर ञ्जत्र22-0114 की रिपोर्ट अमानक आई। जिन्हें अब बाजार व सप्लाई वाली जगहों से वापस मंगवाया जाएगा। वहीं दिसम्बर 18 को अगरोन रेमिडीज प्राइवेट लिमिटेड, काशीपुर की बीएसएच-15,02/2025 बैच नम्बर की क्लोरमफेनिकल आईड्रॉप, ऑसिमो र्ड्रग्स प्राइवेट लिमिटेड गाजियाबाद की बीटामिथासोन सोडियम फास्फेट टेबलेट 0.5 एमजी बैच नम्बर ष्टरूरु-053, 9/2024, एमएमजी हेल्थकेयर, सिरमूर हिमाचल प्रदेश की नाटामाइसिन ऑप्थेमिक सस्पेंशन 5 एमजी 5 एमएल बैच नम्बर 22 द्गराजस्थान पत्रिका04 ष्ठ, मेडिपोल फार्मास्यूटिकल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड सोलन जिले के बद्दी की डॉम्पेरिडोन सस्पेंशन 5 एमजी 5एमएल बैच नम्बर ष्ठष्ठ-072 की रिपोर्ट अमानक आ चुकी है।

मरीज का उपचार होता है प्रभावित

किसी भी प्रकार की दवा के उत्पादन से पहले साल्ट की मात्रा पर रिसर्च किया जाता है। इसके बाद दवा में तय मात्रा में साल्ट मिश्रित किया जाता है। दवा कंपनियां अपने मुनाफा एवं सप्लाई में सहुलियत के लिए इन रसायनों को अलग से अपना ब्रांड नाम और दर तय करती है। कारोबारियों की मानें तो कई लोग कम समय में मुनाफा कमाने के लिए साल्ट की मात्रा का ध्यान नहीं रखते हैं। जिससे मरीज का उपचार प्रभावित होता है।

यह है कारण
बाजार में बिक रही दवाओं की जांच का जिम्मा चिकित्सा विभाग के औषधि नियंत्रण संगठन का है। जांच के लिए एकमात्र लैब व पर्याप्त स्टाफ की कमी के कारण सैम्पल जांच प्रभावित होती है। इस कारण समय पर सैम्पल की जांच नहीं हो पाती है। यही कारण है कि अमानक और नकली साबित होने वाली दवाएं भी रिपोर्ट आने से पहले मरीजों तक पहुंच चुकी होती हैं। वहीं अधिकांश दवाओं की एक्सपायरी डेट एक से दो साल की रहती है, ऐसे में जब तक जांच रिपोर्ट बनती है, तब तक प्रदेश में बड़ी मात्रा में दवा खप चुकी होती है।

मुनाफा ज्यादा , इसलिए फैला रखा है जाल, सीकर में हर दिन ढाई करोड़ का कारोबार
दवाओं का कारोबार में मुनाफा ज्यादा होने के कारण लोग अधिक कमीशन वाली जगहों की तलाश करती है। जिसका नतीजा है कि सीकर जिले में रोजाना औसतन दो से ढाई करोड़ रुपए का दवा का कारोबार होता है। करीब दस प्रतिशत दवाएं बिना बिल के आती है जिनकी गुणवत्ता पर संशय रहता है। कई बार अमानक दवाओं के कारोबार को लेकर कार्रवाई भी हो चुकी है। नाम नहीं छापने की शर्त पर विक्रेताओं ने बताया कि अधिक मार्जिन के लिए कई लोग ब्रांडेड दवाओं की बजाए जहां भी सस्ती दवाएं मिलती है वहां से दवाएं मंगवानी शुरू कर देते हैं। जिसके कारण निर्माता बिना बिल के ही दवाओं की सप्लाई शुरू कर देता है। इस प्रकार की दवा का न तो विक्रेता और न ही मरीज के पास बिल होता है।