
इस गांव में जिन्दगी का आखिरी सफर है बेहद मुश्किल, लोगों को गुजरना पड़ता है इन खौफनाक राहों से
रींगस. जहां जिन्दगी के आखिरी सफर की राह भी अगर आसान नहीं हो तो वहां की सरकार से कोई क्या आस रख सकता है। कस्बे के फाटक संख्या 107 व 108 को सरकार ने ऑवर ब्रिज बनाने के बाद बंद तो कर दिया, लेकिन दोनों ही ब्रिज से पैदल गुजरने वाले राहगीरों के लिए रास्ता नहीं रखा गया है। रेलवे लाइन के दोनों तरफ रहने वाले हजारों लोगों को रोजाना परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आमजन ने इन फाटकों पर पैदल राहगीरों के लिए अंडरपास बनाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। लोगों को जान जोखिम में डालकर रेलवे लाइन पार करनी पड़ती है। शुक्रवार को कस्बे के खाटू मोड़ पर एक महिला का देहांत हो गया था जिस पर परिजन महिला को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट लेकर गए, लेकिन रास्ते के अभाव में लोगों को मजबूरन रेलवे पटरियों से गुजरना पड़ा। इस समस्या को लेकर पिछले दिनों लोगों ने मुख्यमंत्री की जन सुनवाई में भी समस्या के समाधान की मांग रखी थी इस पर मुख्यमंत्री ने जल्द समाधान का आश्वासन दिया था।
फाटक संख्या 107 व 108 पर दोनों तरफ आने जाने के लिए सम्बंधित विभाग एवं राज्य सरकार से लेकर केन्द्र सरकार तक गुहार लगा चुके हैं। पालिकाध्यक्ष द्वारा रेलवे के जनरल मैनेजर को भी निरीक्षण के दौरान कस्बे की इस समास्या के समाधान के लिए अवगत करवाया था, सांसद सुमेधानंद सरस्वती को भी इस समस्या के समाधान के लिए अनेक बार अवगत करवाया गया है, लेकिन समाधान के नाम पर आज तक केवल कोरे आश्वासन ही मिले है। पालिकाध्यक्ष कैलाश पारीक का कहना है कि फाटक पर अंडरपास तो जरूरी है लेकिन नगरपालिका के पास इतना बजट कहा है कि समस्या का समाधान अकेले किया जा सके। राज्य सरकार अगर अतिरिक्त बजट दे तो समस्या का समाधान हो सकता है।
दो किमी का चक्कर
रेलवे फाटक के दोनों तरफ रहने वाले लोगों को इस पार से उस पार जाने के लिए करीब दो किमी का चक्कर लगाना पड़ता है। ब्रिज के ऊपर से गुजरने वाले पैदल राहगीरों के लिए फुटपाथ नहीं होने के चलते वाहनों से हादसा होने का अंदेशा बना रहता है। ब्रिज पर कई बार तो हादसा होने के बाद घंटों तक जाम लगा रहता है जिससे लोगों की समस्या और अधिक बढ जाती है।
Published on:
16 Jun 2018 02:08 pm
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