
माकपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमराराम से पत्रिका की खास बातचीत
प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। उनमें एक कदम आगे बढ़ते हुए माकपा ने तो उम्मीदवारों की घोषणा के साथ चुनावी अभियान भी तेज कर दिया है। इस बीच पत्रिका ने माकपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमराराम से चुनावों को लेकर विशेष बात की। जिसमें उन्होंने चुनावी मुद्दों व तीसरे मोर्च की संभावना सहित विभिन्न मसलों पर खुलकर अपना मत रखा।
स. विधानसभा चुनाव में करीब छह महीने का समय है। इतनी जल्दी उम्मीदवारों की घोषणा की कोई खास वजह?
ज. माकपा 30 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। भाजपा व कांग्रेस की तरह हमारी पार्टी में किसी भी सीट पर उम्मीदवार चयन को लेकर कोई विवाद या प्रतियोगिता नहीं है। चुनाव की तैयारी में जल्दी जुट सके, इसलिए जनता के लिए संघर्ष करने वाले लोगों को पहले ही उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है।
स. माकपा किन मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी?
ज. महंगाई, बेरोजगारी, निजीकरण, भ्रष्टाचार तथा भाजपा व कांग्रेस सरकारों की वादाखिलाफी के खिलाफ तथा गरीब, मजदूर व किसानों के हक के मुद्दे पर चुनाव लड़ा जाएगा। काला धन लाने, दो करोड़ रोजगार देने, एमएसपी सरीखे वादों पर केंद्र और संपूर्ण कर्जा माफी, महंगाई राहत व बेरोजगारी भत्ते जैसे वादे पूरे करने में राज्य सरकार विफल रही है।
स. लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत तो अपनी सरकार रिपीट होने का दावा कर रहे हैं?
ज. ऐसा कौनसा काम कर दिया, जिससे सरकार रिपीट होगी। साढ़े चार साल तो वे कुर्सी बचाने में लगे रहे। 65 साल में पहली बार देखा है कि पैसे व पद के लिए कांग्रेस के विधायक ताले में बंद थे और कांग्रेस के ही कुछ लोगों के साथ भाजपा उनकी सरकार गिराने में जुटी थी। 10 दिन में सम्पूर्ण कर्जामाफी की बात कहकर एक किसान का भी कर्ज पूरा माफ नहीं किया। बेरोजगारी भत्ते के पेचीदा नियम बना दिए और ढाई रुपए की बिजली भी जनता को आठ रुपए में दे रहे हैं। चिरंजीवी योजना का 90 फीसदी रुपया प्राइवेट अस्पतालों में जा रहा है। विभागों, सरकारी अंग्रेजी स्कूलों व कॉलेजों में पद खाली हैं।
स. महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूलों में कॉन्ट्रेक्ट पर शिक्षक लगाए जा रहे हैं?
ज. जब युवा परमानेंट आने को तैयार हैं तो कॉन्ट्रेक्ट पर शिक्षक क्यों? फिर तो मुख्यमंत्री भी कॉन्ट्रेक्ट पर ही बन जाएं। जिसे अडाणी- अंबानी चलाएं।
स. महंगाई राहत शिविर को ही कांग्रेस जीत का बड़ा आधार मान रही है?
ज. साढ़े चार साल महंगाई नहीं देखने वाले मुख्यमंत्री चुनावी साल में राहत कैंप लगा रहे हैं। ये महंगाई राहत नहीं वोट राहत कैंप है। यदि महंगाई कम करनी है तो वैट कम कर पेट्रोल व डीजल की दरें कम करें। ढाई रुपए में उत्पादित हो रही बिजली भी आठ रुपए में क्यों बेच रहे हैं? बिजली में छूट भी बड़ी लूट है। प्रदेश में उत्पादित 80 फीसदी बिजली को दूसरे राज्यों को बेचकर अपने यहां कटौती की जा रही है। कांग्रेस व भाजपा दोनों राज में बिजली की लूट हुई है। जांच हो तो दोनों के बिजली मंत्री को जेल जाने से कोई नहीं रोक सकता। योजना भवन में सोना व करोड़ों रुपए मिलना भी छोटी बात नहीं है।
स. विधानसभा चुनाव में थर्ड फ्रंट की कोई गुंजाइश है?
ज. थर्ड फ्रंट की कोशिश नहीं है। भाजपा व कांग्रेस के खिलाफ दलों को सीट एडजस्ट करने के लिए तैयार करने का प्रयास है। क्योंकि भाजपा व कांग्रेस मिलीभगत कर पांच- पांच साल से सरकार बनाते हैं।
स. किसी पार्टी से इस संबंध में बात हुई है?
ज. बीटीपी, सीपीआई, समाजवादी पार्टी व आरएलपी से चर्चा है। एआईएमआईएम तो भाजपा की ही बी पार्टी है। जेजेपी भी वही है। आप 200 पर चुनाव लडऩे की घोषणा कर चुकी है। पर यदि वह एडजेस्टमेंट को कहती है तो हम तैयार हैं।
स. मतलब साफ है कि गठजोड़ की स्थिति में भाजपा व कांग्रेस के साथ नहीं जाएंगे?
ज. सवाल ही नहीं। अभी तक तो हम उनके साथ गए नहीं है। बाकी चुनावों के बाद क्या परिस्थिति होती है, वो बाद की बातें हैं।
Published on:
17 Jun 2023 01:23 pm
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