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84 दिन आंदोलन….एक महीने में 17 दिन नवलगढ़ रोड नहरी बनी, फिर भी नगर परिषद सोती रही

लोगों का सवाल: जलभराव के बीच सीवरेज के काम पर क्यों नहीं लगाए संकेतकदस साल से पुरानी समस्या, रोजाना हजारों लोग परेशान, फिर भी अब तक स्थायी समाधान नहीं

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सीकर

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Ajay Sharma

Jul 10, 2023

84 दिन आंदोलन....एक महीने में 17 दिन नवलगढ़ रोड नहरी बनी, फिर भी नगर परिषद सोती रही

नवलगढ़ रोड पर जलभराव

अजय शर्मा. नवलगढ़ रोड इलाके की दस साल पुरानी जलभराव की समस्या का शहरी सरकार अब तक समाधान नहीं कर सकी। इस वजह से शनिवार को एक होनहार मासूम की जान चली गई। पानी निकासी की समस्या के समाधान के लिए नवलगढ़ रोड इलाके के लोगों के साथ शहरवासियों ने 84 दिन तक धरना देकर प्रदर्शन किया। इस दौरान नगर परिषद ने बारिश के सीजन तक काम पूरा कराने का आश्वासन भी दे दिया। लेकिन जलभराव की समस्या के समाधान के लिए अस्थाई प्रयास भी शुरू नहीं किए गए। इस वजह से पिछले एक महीने में 17 दिन तक यहां जलभराव रहा। तीन दिन पहले हुई बारिश के दौरान भी कई वाहन पानी में फंस गए। इस दौरान लोगों ने जिला कलक्टर से लेकर नगर परिषद आयुक्त व सभापति को फोन किए। लेकिन कोरे आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला।

1. जलभराव तय था तो सीवरेज का काम बंद क्यो नहीं:
नवलगढ़ रोड के हल्की बारिश में नहर बनने की बात जिला कलक्टर से लेकर सभापति और आयुक्त को पता थी। इसके बाद भी बारिश के बीच में सीवरेज का काम जारी रखा। लोगों का कहना है कि यदि काम कराना भी था तो सुरक्षा के पूरे इंतजाम क्यों नहीं किए गए।

2. नगर परिषद की इंजीनियरिंग विंग की चूक:
सीवरेज का काम भले ही निजी कंपनी कर रही हो लेकिन निगरानी की जिम्मेदारी नगर परिषद की इंजीनियरिंग विंग के पास थी। नगर परिषद के पास अधिशाषी अभियंता से लेकर कनिष्ठ अभियंताओं की टीम है। साइट पर सुरक्षा के नियमों की पालना कराने के लिए उन्होंने ठेकेदार को पाबंद क्यों नहीं किया।

3. पूरा सिस्टम नीद में किसी ने नहीं सोचा, कैसे जाएंगे बच्चे:
बारिश के बीच में देर शाम तक कोचिंग में क्लास लग रही थी। नगर परिषद से जिला प्रशासन के जिम्मेदारों को पता था कि नवलगढ़ रोड इलाका पूरी तरह नहर बन चुका है। कोचिंग से आने वाले कैसे घरों को जाएंगे इस दिशा में किसी ने नहीं सोचा। यदि प्रशासन की ओर से पहले ही विद्यार्थियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर इंतजाम किए जाते तो हादसे को टाला जा सकता था।

4. मानसून पूर्व तैयारियों के नाम पर झूठे दावे:
शहर का डे्नेज सिस्टम काफी खराब है। इसलिए नगर परिषद को बेहतर तरीके से मानसून पूर्व तैयारी करनी थी। लेकिन नगर परिषद ने सिर्फ झूठे दावे करती रही। यदि पूर्व तैयारी बेहतर होती तो सम्पबैल के जरिए थोड़ी तो पानी निकासी होती।