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शिक्षा मंत्री डोटासरा ने कहा, जो मांगना है मांग लो…कब क्या हो जाए पता नहीं

locationसीकरPublished: Aug 05, 2021 11:27:22 am

प्रदेश में मंत्रिमण्डल पुनर्गठन में भले ही समय लग रहा हो लेकिन शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा की ओर से लगातार मंत्रिमण्डल में बदलाव के संकेत दिए जा रहे हैं।

शिक्षा मंत्री डोटासरा ने कहा, जो मांगना है मांग लो...कब क्या हो जाए पता नहीं

शिक्षा मंत्री डोटासरा ने कहा, जो मांगना है मांग लो…कब क्या हो जाए पता नहीं

सीकर. प्रदेश में मंत्रिमण्डल पुनर्गठन में भले ही समय लग रहा हो लेकिन शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा की ओर से लगातार मंत्रिमण्डल में बदलाव के संकेत दिए जा रहे हैं। पिछले दिनों राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा व बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारोली के बीच हुई इस तरह की बातचीत का वीडियो वायरल हुआ था। बुधवार को अब डोटासरा ने दुर्गापुरा पिपराली स्कूल में आयोजित कार्यक्रम के भाषण में इस तरह की बात का जिक्र किया। नाड़ी दुर्गापुरा पिपराली स्कूल में आयोजित भामाशाह सम्मान समारोह में शिक्षा राज्य मंत्री डोटासरा ने ग्रामीणों से कहा कि जो मांगना है मांग लो, कब क्या हो जाए पता नहीं। उन्होंने कहा कि समय बदलता रहता है। मंत्री डोटासरा ने कहा कि सीकर विधायक पारीक को ही देख लो। पहले इनके पास कितने बड़े विभाग थे…। दरअसल, उनके भाषण से पहले ग्रामीणों की ओर से स्कूल में नए कक्षा-कक्ष, खेल मैदान सहित अन्य मांगें की जा रही थी। इस पर उन्होंने भाषण में यह जिक्र किया। हालांकि मीडिया से बातचीत में उन्होंने मंत्रिमण्डल के सवाल को हंसकर टाल दिया।

एक मंच पर दिखे पारीक व डोटासरा
नाड़ी दुर्गापुरा में आयोजित समारोह में शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा व सीकर विधायक राजेन्द्र पारीक का एक मंच पर आना भी चर्चा का विषय रहा। पीसीसी चीफ व शिक्षा राज्य मंत्री बनने के बाद डोटासरा व पारीक सार्वजनिक कार्यक्रमों में साथ नहीं दिखे। जिसकी वजह विधायक पारीक को वरिष्ठ होने पर भी मंत्रीमंडल में स्थान नहीं मिलने की नाराजगी माना जाता रहा।

ग्रामीणों की सहभागिता से बदलेगी सरकारी स्कूलों की सूरत
कार्यक्रम में शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि ग्रामीणों की सहभागिता के बिना सरकारी स्कूलों की सूरत नहीं बदली जा सकती है। उन्होंने कहा कि नाड़ी स्कूल में नामांकन पहले जीरो हो गया था। इसलिए सरकार ने इस स्कूल को बंद कर दिया। इसके बाद गांव का हर व्यक्ति आगे आया तो अब नामांकन ३८० तक पहुंच गया।

निजी को टक्कर दे रहे सरकारी स्कूल
डोटासरा ने कहा कि पहले सरकारी स्कूलों में वार्षिकोत्सवों का आयोजन नहीं होता था। कांग्रेस सरकार ने सभी स्कूलों को वार्षिकोत्सव के लिए भी पैसा देना शुरू किया। इससे विद्यार्थियों के आत्मविश्वास में काफी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की मेहनत के दम पर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता में इजाफा हुआ है। अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में प्रवेश के लिए होड़ मची हुई है।

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