इन उदाहरणों से समझें आपदा प्रबंधन तंत्र की हकीकत
1. कुई में धंसा मजदूर, 12 दिन बाद शव निकाला पिछले दिनों सीकर जिले के कोलिड़ा गांव में गटर की कुई की खुदाई करते समय मजदूर दब गया। स्थानीय आपदा प्रबंधन की टीम पांच दिन तक जुटी रही लेकिन सफलता नहीं मिली। एनडीआरएफ को भी बुलाया गया। सेना की टीम ने मोर्चा संभाला तो दो दिन में ही शव बाहर निकाल लिया।
2. बांरा में स्थिति बेपटरी, अब सेना को बुलाया बांरा जिले में तेज बारिश से हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। एनडीआरएफ के साथ एसडीआरएफ की टीम फिलहाल हाड़ोती संभाग के जिलों में मोर्चा संभाले हुए है। अजमेर जिले की टीमों को भी बुला लिया गया है। यहां अब तक दस लोगों की मौत के बाद प्रशासन हरकत में आया है। अब सेना को बुलाया गया है। 3. लोग कॉल करते रहे, नहीं पहुंची टीमकरौली, धौलपुर व सवाईमाधोपुर जिले के कई क्षेत्र पिछले सात दिन से जलमग्न है। लोगों ने सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए कई बार कन्ट्रोल रूम में फोन किए। जवाब मिला- हमारे पास संसाधनों का अभाव है इसलिए अभी नहीं आ सकते। कुछ परिवारों ने अपने दम पर दूसरे स्थानों पर शरण ली।
बड़ी चूक: जर्जर भवन मालिकों से नहीं कराए भवन खालीबारिश के सीजन से पहले शहरी क्षेत्रों में नगर निकाय व ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायतों की ओर से जर्जर भवन मालिकों को नोटिस जारी किए जाते हैं, लेकिन इस साल प्रदेशभर में 169 नोटिस ही जारी किए गए। कई स्थानों पर नोटिस के बाद भौतिक सत्यापन नहीं किया गया। कई जगह तो सर्वे भी नहीं किया गया।
बड़ी बेपरवाही : उपखंड मुख्यालयों पर कोई टीम ही नहींराज्य सरकार की ओर से उपखंड मुख्यालयों पर भी नागरिक सुरक्षा विभाग के कर्मचारी नियुक्त करने का मामला लंबित है। पिछली सरकार के समय प्रदेश में 13 उपखंड मुख्यालयों पर सिविल डिफेन्स के कर्मचारी लगाने की घोषणा हुई थी। लेकिन आचार संहिता की वजह से वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं हो सकी।
इनका कहना है
सीकर जिले में 58 सिविल डिफेन्स के कर्मचारियों का चयन किया हुआ है। इन्हें आवश्यकता के हिसाब से बुलाया जाता है।
मदन सिंह कुडी, उपनियंत्रक, नागरिक सुरक्षा विभाग, सीकर