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Video : शेखावाटी के इन किसानों ने किया कमाल, पहली बार होगी सीप से तैयार मोतियों की खेती, एक करोड़ से अधिक होगी इनकम

सीकर जिले के दांतारामगढ़ में सीप से मोती तैयार हो रहे है।

सीकरJan 11, 2018 / 05:49 pm

vishwanath saini

pearl cultivation in rajasthan,

राजेश वैष्णवं, दांतारामगढ ।

सीकर जिले के दांतारामगढ़ में सीप से मोती तैयार हो रहे है। धोरों की इस धरती पर चैनुपरा के पास बगडियों की ढ़ाणी के किसान भगवान सहाय बगडिया व हनुमान बगडिया सीप पालन से मोती तैयार करनें में जुटे है। सीप से मोती तैयार करनें में सीकर जिले में शायद पहली खेती होगी। मोती की खेती से किसान मालामाल होंगे।

दांतारामगढ़ के कल्याणपुरा व रेनवाल के बीच बगडियों की ढ़ाणी में पांच हजार सीप का पालन हो रहा है जिनसे दस हजार मोती तैयार होंगे। तैयार एक मोती की बाजार कीमत तीन सौ से तीन हजार रूपए है। करीब एक बीघा जमीन पर तैयार सीप पालन से पैदा होने वाले दस हजार मोती कम से कम कीमत पर भी एक वर्ष में एक करोड़ से अधिक की कमाई किसान को देंगे। जयपुर व अन्य स्थानों के जौहरी मोती खरीदनें को तैयार ही नहीं बल्कि मोती तैयार होने से पहले ही खरीददारों के फोन आने शुरू हो गए है।

 

ऐसे तैयार होते है मोती

पानी में रहने वाली सीप से मोती तैयार होता है। सीप केरल,नागपुर आदि स्थानों से मंगवाई जाती है। एक सीप में दो मोती तैयार होते है। मोती के बीज सीप में डालकर उन्हे चौबीस घंटे बिना खुराक के साफ पानी में तथा चार पांच दिनों तक दवायुक्त व खुराक वाले पानी में सीप को छोड़ा जाता है। बाद में उन्हे जालीनुमा स्टेण्ड में टांगकर सीप को पानी के होद में लटकाया जाता है। सीप अपनी लार छोड़ती है वह बीज पर परत के रूप मे जमती रहती है और करीब दस बारह माह बाद सीप में रखी प्रतिमा या मोती (बीज) पर चमक आ जाती है।

यह होती है सीप की खुराक

सीप की खुराक का खर्च बहुत ही मामूली है। यूरिया आदि मिलाकर एक होद में डाला जाता है। पानी हरे रंग का सिवाल वाला हो जाता है उसके बाद सीप रखे होद में इस हरे पानी को मिलाया जाता है। सीप इस गंदे पानी से ही अपनी खुराक लेती है। करीब 10-12 माह बाद मोती निकालने के लिए सीप को खोला जाता है तो सीप मर जाती है और उसके अंदर का मांस पकाने के लिए होटल में बेच दिया जाता है तथा ऊपर का कठोर कवर खिलौने व सजावट के काम आता है।

एक करोड़ की होगी आय

दांतारामगढ़ के बगडियों की ढ़ाणी के हनुमान सहाय व भगवान सहाय बगडिया के फार्म पर हो रहे सीप पालन से करीब 50 लाख से एक करोड़ के मोती तैयार होंगे। पांच हजार सीप से दस हजार मोती तैयार होंगे। क्वालिटी के हिसाब से एक मोती की कीमत तीन सौ से तीन हजार तक होती है। जिसमें एक मोती की कीमत एक हजार भी मानकर चले तो इन किसान भाईयों को दस हजार मोती से करीब एक करोड़ रूपए मिलने की उम्मीद है।

मूर्तियां होती है तैयार

सीप से पैदा होनें वाले जिस मोती की बात की जा रही है। वह दरअसल मोती नहीं होकर मूर्ति है। शिव , कृष्ण , हनुमान, लक्ष्मी, ऊ,786, ईसा मसीह आदि प्रतिमाए बीज के रूप में सीप के अंदर डाली जाती है जो 10-12 माह में चंादी की तरह चमकदार हो जाती है। बाद में इनके सोनें में लॉकेट तैयार होते है। इसके अलावा मोती भी आते है जो सीप में डालकर तेयार किए जाते है।

10-11 रूपए में आती है सीप

सीप करीब दस 11 रूपयों में आती है। इसके अंदर तैयार की जाने वाली मूर्तियां भी पांच से दस रूपयो के बीच आती है। यह मूर्तियां सीप के पाउडर,अमेरिकन पाउडर व केमिकल से बनी होती है इनकी कीमत भी उसी हिसाब से तय होती है।

मोती पर मेहनत अधिक

पांच हजार सीप में सौ सीप में मोती तैयार कर रहे है। किसान भगवान सहाय बगडिया ने बताया कि मोती तैयार करने के लिए बीज सीप के बच्चेदानी में डाला जाता है। यह ऑपेरशन एक्सपर्ट की कर पाता है तथा मोती तैयार होने में करीब 18 माह लग जाते है।

इनका कहना है

किसान हनुमान सहाय व भगवान सहाय बगडिया का कहना है कि सीप पालन इतने बडे स्तर पर सीकर जिले में पहला बगडियों की ढ़ाणी में है। किसान भगवान सहाय ने बताया कि नर्सिग करनें के बाद भी उन्होनें खेती का चुना और अब सीप से मोती तैयार कर रहे है इसके लिए उन्होने नागपुर से प्रशिक्षण भी लिया और अब यहां प्रशिक्षण केन्द्र खोलना चाहते है। ताकि जिले व आस पास के किसान मोती तैयार कर मालामाल हो सके।

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