
प्रकृति की मार झेल कर धरती से अन्न उगाने वाले किसानों को लेकर लापरवाही बरती जा रही है। इसकी बानगी है कि जिले में हजारों अन्नदाताओं के प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में मिलने वाले मुआवजे तय होने के बावजूद अकेले राजस्थान में किसानों के 40 करोड़ और सीकर जिले में करीब तीन करोड़ रुपए से ज्यादा अटके हुए। वजह फसल बीमा क्लेम का भुगतान डायरेक्ट बेनीफिशियरी ट्रांसफर स्कीम (डीबीटी) के जरिए ही करना है। इसके बाद से बीमा कंपनी की ओर से क्लेम जारी होने के बाद भी संबंधित का खाता बंद होने का हवाला देकर क्लेम का भुगतान नहीं किया जा रहा है। जिससे किसानों व उनके परिजन मुआवजे की राशि लेने के लिए चक्कर लगा रहे हैं।
फसल बीमा कंपनी की ओर से डीबीटी के जरिए भुगतान नहीं होने से क्लेम की राशि और किसानों की सूची संबंधित बैंक को भेजी जाती थी। जिसके आधार पर बैंक खाता बंद होने की िस्थति में संबंधित किसान या उसके परिजन को क्लेम की राशि का भुगतान करता था। ऑनलाइन भुगतान होने से बीमा कंपनी की ओर से सूची भेजना ही बंद कर दिया। जिससे बैंक को खाता बंद होने की जानकारी ही नहीं मिल पाती है। जिससे भुगतान के लिए किसान कृषि विभाग, बीमा कंपनी और बैंक के बीच चक्करघिन्नी बन जाते हैं।
वर्ष - बकाया क्लेम
2019-20- 1071
2020-21- 1813
2021-22- 995
2022-23 - 850
मामले को दिखवाया जाएगा। प्रीमियम चुकाने वाले किसान या उसके परिजनों को फसल बीमा का क्लेम मिलना चाहिए। इसको लेकर राज्य व केन्द्र सरकार के मंत्रियों से वार्ता की जाएगी
Published on:
13 Jun 2024 11:46 am
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