एक किलोमीटर पहले से दिखी ‘मुसीबत’
टोल बूथ पर फास्टैग अनिवार्य करने के बाद सुबह एक बारगी एनएचएआइ के नियमों के अनुसार ही टोल संचालकों ने बिना फास्टैग वाले वाहनों के लिए एक ही लाइन रखी गई थी। जिससे कैश भुगतान करके वाहन निकल रहे थे। लेकिन बाद में यातायात का दबाव बढऩे लगा एवं टोल बूथ पर वाहनों की कतार लग गई। इसके बाद एक के बजाय दो लाइनों में कैश भुगतान की लाइनों को चालू कर दिया गया। हालंाकि इसके बाद भी अधिकतर वाहन कैश भुगतान वाली लाइनों से होकर ही गुजर रहे थे।
टाटियाबास टोल: पहले घंटे ही निकला दम
जयपुर—सीकर रोड पर टाटियाबास टोल पर फास्टैग की सुविधा का पहले घंटे में ही दम निकलता नजर आया। फास्टैग लेन में जहां अव्यवस्थाओं के कारण वाहनों के टैग स्कैन नहीं हुए वहीं कैश वाले वाहन भी फास्टैग लेन में घुस गए। ऐसे में लेन में लंबा जाम लग गया। वहीं कई वाहन चालकों को दोगुना भु्गतान करना पड़ा। दूसरी ओर टाटियावास गांव के तिराहे पर अवैध रूप से लगाए गए टोल बूथों पर भी वाहन दूसरे रास्ते से निकलते दिखाई दिए।
फिर भी…फास्टैग में नहीं दिखाई दिलचस्पी
अखैपुरा टोल बूथ पर वाहन चालक दिनभर जाम में जूझते रहे लेकिन फास्टैग को स्वीकार करने को लेकर उनमें कोई दिलचस्पी नजर नही आई। रविवार को टोल से केवल 26 प्रतिशत गाडिय़ां ही फास्टैग की लाइनों से गुजरी। जिसमें से भी ज्यादा बड़ी गाडिय़ां ज्यादा थी। इस दौरान कैश भुगतान वाली लाइनों में वाहन रैंग-रैंग कर चलते रहे लेकिन इसके बावजूद भी वाहन चालकों में फास्टैग बनवाने को लेकर भी कोई दिलचस्पी नही दिखी। अखैपुरा टोल बूथ पर एयरटेल, आइएचएमसीएल, पेटीएम, आइसीआइसीआइ आदि चार कम्पनियों की ओर से फास्टैग लगाने का कार्य किया जा रहा है।
करते रहते आगे-पीछे
फास्टैग लगी गाडिय़ां दस-दस मिनट तक फास्टैग की लाइनों में कभी आगे तो कभी पीछे होती रही। लेकिन सैंसर फास्टैग का स्कैन ही नही कर रहा था। फास्टैग होने के बावजूद भी कई वाहन चालक परेशान होते रहे।
फंसी रही एंबुलेंस
गाडिय़ों को नियंत्रित करके निकालने में टोलकर्मी मशक्कत करते रहे। लेकिन सडक़ पर आड़े तिरछे खड़े वाहनों के कारण पीछे से आने वाले एंबुलेंस वाहन भी जाम के कारण आगे नही आ पा रहे थे।
दोगुना पैसा देने को तैयार
जाम में फंसे वाहन चालक फास्टैग वाली लाइनों से निकालने के लिए टोलकर्मियों से नियमानुसार दुगुना जुर्माना देकर भी निकलने का आग्रह करते नजर आए।