
flower farming in sikar rajasthan
पूरणसिंह शेखावत/सीकर.
दो दशक पहले चौमूं और जयपुर से गुलाब व अन्य फूल मंगाने वाला सीकर जिला फूल व्यवसाय में आत्मनिर्भर बन गया। सीकर के निकटवर्ती इलाके में अधिकांश गांवों में गुलाब, गेंदा, डच रोज के फूलों की जबर्दस्त खेती होती है। जिले के किसान दिल्ली, जयपुर, बीकानेर और चूरू जिले में फूलों की सप्लाई कर रहे हैं। वर्तमान में गुलाब का एरिया 250 हैक्टेयर से अधिक पहुंच गया है। महीने में फूलों का व्यवसाय 70 लाख रुपए से अधिक हो गया है। शादियों व सीजन में यह एक करोड़ रुपए से अधिक का हो जाता है।
नकद मिलता पैसा
रुझान कम पानी और कम क्षेत्रफल में अधिक फायदा मिलने के कारण फूलों की खेती किसानों के लिए नगदी फसल बन गई है। इस समय सीकर में बेरी, गोकुलपुरा, श्यामपुरा, दूजोद, तासर, कूदन, रघुनाथपुरा, लोसल क्षेत्र सहित अनेक स्थानों पर फूलों की खेती हो रही है। किसान शिशुपाल सिंह के अनुसार प्रति बीघा भूमि से एक साल में गुलाब की खेती से एक लाख रुपए तक पहुुंच जाती है।
यह है अंतर
गंगानगरी गुलाब की तुलना में पुष्कर के गुलाब रंग हल्का होता है। इसके अलावा इस गुलाब की बुवाई के पीछे सबसे बड़ा कारण इसकी पत्तियां का दूसरे से गहरा व मजबूत जुड़ाव होना है। इससे उचित वातावरण में पांच- छह दिन तक यह खराब नहीं होता है।
दूसरे जिलो के व्यापारी आते हैं सीकर
शहर में घंटाघर इलाके में 2001 में फूल मंडी के रूप में बोली लगनी शुरू हो गई। पहले सीकर में प्रतिदिन दोपहर बाद ही दूसरे जिलों से फूल आते थे। इसके लिए व्यापारियों को तड़के जयपुर या अजमेर जाना पड़ता था। जबकि स्थिति उलट हो गई है। घंटाघर में प्रतिदिन फूलों की मंडी में बोली लगती है। जहां दूसरे जिलों के व्यापारी आते हैं।
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Published on:
17 May 2018 04:02 pm
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