
चिकित्सा विभाग की महत्वाकांक्षी योजना ओजस की प्रगति में बैंकों की मनमर्जी बाधक बनी हुई है। वजह बैंक प्रबंधन प्रसूताओं के खाते जीरो बैलेंस पर नहीं खोल रहा है। इससे प्रसूताओं को सरकार की जेएसवाई योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसका नतीजा है कि प्रसूताओं के बैंक खाते नहीं खुलने से प्रदेश स्तर पर जिले का स्थान बहुत नीचे है। बैंकों की मनमर्जी के कारण जननी सुरक्षा योजना का लाभ प्रसूताओं को नहीं मिल पा रहा है। प्रसूताओं को बच्चा जनने के बाद शासन से मिलने वाली प्रोत्साहन राशि पाने को बैंकों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। खाता न खुलने के कारण 45 फीसदी महिलाएं धनराशि पाने से वंचित हो रही हैं।
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क्या है जननी सुरक्षा योजना...
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जननी सुरक्षा योजना के तहत संस्थागत प्रसव कराने वाली महिलाओं को शहरी क्षेत्र में एक हजार और ग्रामीण क्षेत्र में 1,400 रुपए देने का प्रावधान है। महिलाओं को प्रसव के सप्ताहभर के बीयरर चेक के माध्यम से मिलने वाली धनराशि बैंकों से लेकर महिलाओं को अब तक समुचित लाभ मिल रहा था।
क्यों आती है परेशानी...
अधिकतर प्रथम प्रसव वाली महिलाओं के ससुराल में खाता खुलवाने को आवश्यक पहचान पत्र न होने के कारण बैंकों में उनका खाता नहीं खुल पाता है। खाता खुलवाने के लिये राशन कार्ड, आधार कार्ड और फोटो पहचान पत्र ससुराल में नहीं बन सका है। इसके अलावा ग्रामीण अंचल की बैंकों में खाता खुलवाने के लिए पैनकार्ड की आवश्यकता बताई जाती है। प्रसूताओं के परिजनों का मानना है कि जब पैन कार्ड की जरूरत ही नहीं है तो पैन कार्ड क्यों बनवाए। एेसे में अधिकांश परिजन इससे दूर होते जा रहे हैं।
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इस समय प्रसूताओं को सभी प्रकार के देय भुगतान दिया जा रहा है। पूर्व में जिला कलक्टर ने प्रसूताओं के खाते जीरो बैलेंस पर खोलने के लिए जिला अग्रणी अधिकारी के स्तर पर निर्देश दिए थे। कई जगह बैंकों में पैनकार्ड लिए जा रहे हैं जो गलत है। बैंकों को पूर्व में दिए गए निर्देशों की पालना करनी चाहिए। - डा लक्ष्मण सिंह ओला, अध्यक्ष इन सर्विस डाक्टर्स एसोशिएशन, सीकर
Published on:
31 Jul 2017 03:34 pm
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