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यहां सैर सपाटे के लिए जाते हैं श्मशान घाट!

सीकर जिले के गांगियासर गांव के मोक्षधाम की दो वर्ष में बदली सूरत। यह अब सुकू न की जगह बन गया। हरियाली को देख यहां लोग अब सुकून के पल बिताने पहुंचते हैं।

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सीकर

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Gaurav Saxena

Sep 13, 2019

यहां सैर सपाटे के लिए जाते हैं श्मशान घाट!

यहां सैर सपाटे के लिए जाते हैं श्मशान घाट!

फतेहपुर. अगर इंसान अपनी जिद पर आ जाये तो वह कुछ भी कर सकता है, यही करके दिखाया है गांगियासर गांव के दो व्यक्तियों ने। एक ओर जहां लोग शमशान घाट के पास से गुजरने पर भी डरते है वहीं इन दो ग्रामीणों ने अपनी मेहनत के दम पर शमशान घाट की सूरत बदल डाली। दो वर्ष की मेहनत के बाद अब शमशान घाट पार्क की तरह दिखने लग गया। गौरतलब है कि गांगियासर गांव में एक शमशान घाट है। इस पर सभी समाजों के मृत लोगों का अंतिम संस्कार होता है। सारसंभाल नहीं होने के चलते शमशान भूमि पर एक दिन जाने पर भारी परेशानी होती थी। इससे प्रण लेकर गांव के दो व्यक्तियों ने इसकी सूरत बदलने की ठान ली। दो वर्ष पूर्व सबसे पहले शमशान भूमि में छायादार पौधे लगाने शुरू किए। एक के बाद एक 76 पौधे लगाए। पानी देने के लिए पाइप लाइन डलवाई। उसके बाद रोजाना श्रमदान करके रास्ते सुगम करने, घास कटाने का काम करते थे। रिटायर्ट फौजी भागीरथमल हुड्डा एवं डाक बांटने का काम करने वाला रतनलाल हुड्डा का कहना है कि लोग शमशान भूमि के नाम से ही कल्पना करते थे कि वहां पर कंटीली झाडिय़ां व गंदगी का अंबार होता है। लोगों की सोच को बदलने के लिए उन्हें प्रयास शुरू किए। ग्रामीणों के सहयोग से व उनकी मेहनत से पूरे शमशान घाट की सूरत बदल गई। शमशान भूमि में इंटरलॉक टाइलें लगवा दीं। इससे साफ सफाई रहने लग गई।
सभी समुदायों का शमशान
गांगियासर गांव में स्थित शमशान घाट में एक ही चारदीवारी में सभी समुदायों के लिए जमीन चिंहित है। चारदीवारी के भीतर सभी समाजों के लिए अलग-अलग जमीन निर्धारित है।
लावारिस घूमती मिली महिला को भेजा कस्तूरबा सदन
पाटन. इलाके के डाबला गांव में लावारिस घूम रही एक महिला को गुरुवार को पुलिस ने दस्तयाब कर लिया। मामले के अनुसार डाबला गांव में पिछले तीन-चार दिन से एक महिला लावारिस स्थिति में घूम रही थी। लोगों ने उससे पूछताछ की तो वह संतुष्टिजनक जवाब नहीं दे पाई। डाबला सरपंच तथा ग्रामीणों ने इस मामले की सूचना पुलिस को दी। जिस पर पुलिस ने उसे डाबला से दस्तयाब कर लिया। प्रारंभिक पूछताछ में महिला ने अपना नाम उर्मिला तथा पति का नाम गणेश बताते हुए खुद को सुजापुर पश्चिम बंगाल की निवासी बताया। महिला को उपखंड अधिकारी के समक्ष पेश किया गया। जहां से उसे कस्तूरबा सेवा सदन सीकर भिजवा दिया गया। बताया जा रहा है कि महिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है तथा वह अपना पूरा पता भी नहीं बता पा रही है।