
विनोद सिंह चौहान
सीकर। प्रदेश की ग्राम पंचायतों को हाईटेक बनाने के साथ मास्टर प्लान के तहत विकास कार्यो का सपना अब तक अधूरा है। पिछले 15 साल में भाजपा और कांग्रेस की ओर से ग्रामीण विकास को लेकर तरह-तरह के दावे किए गए। लेकिन ज्यादातर घोषणाएं अभी तक कागजों में उलझी हुई है। सरकार की ओर से ग्राम पंचायतों के मास्टर प्लान को लेकर 30 साल में कई बार आदेश जारी किए गए। लेकिन अभी भी ग्राम पंचायतों में विकास का सपना पूरा नहीं हो सका है। अब सरकार की ओर से एक हजार की आबादी वाली ग्राम पंचायतों को शहर की तर्ज पर विकसित करने की बात कही जा रही है। इसमें स्वच्छता, रोशनी, नाली, हाईमास्क, पार्क सहित अन्य कार्य होने है। लेकिन अभी तक पंचायतों को इस दिशा में सरकार की ओर से कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई है।
इन तीन दावों से समझें विकास की हकीकत
1. मास्टरप्लान: कागजों में गुम विकास का प्लान
हर सरकार के समय मास्टर प्लान को लेकर कई तरह के दावे-वादे किए गए। लेकिन ज्यादातर ग्राम पंचायत क्षेत्रों में मास्टर प्लान कागजों में गुम हो चुका है। पिछली भाजपा सरकार के समय में तो ग्राम पंचायतों को अलग से बजट भी दिया गया था। इसके बाद भी 40 फीसदी ग्राम पंचायत मास्टर प्लान पर विभाग की मुहर नहीं लगवा सकी। दूसरी तरफ बड़ी दिक्कत राजस्व विभाग के कायदों की है।
2. पार्क: जमीन आवंटन में उलझा मामला
पिछले दिनों पंचायतीराज मंत्री रमेश मीणा ने प्रदेश की चुनिन्दा ग्राम पंचायतों में पार्क बनाने की घोषणा की थी। इसके तहत अभी तक ज्यादातर जिलों में काम जमीन आवंटन के फेर में ही उलझा हुआ है। यदि शहरों की तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्र में पार्क डवलप होंगे तो ग्रामीणों के साथ लद्यु उद्यमियों को भी फायदा होगा।
3. मिनी सचिवालय: ज्यादातर ग्राम पंचायतों में फ्लॉप शो
ग्राम पंचायत मुख्यालय पर सभी सरकारी कार्यालयों को एक छत के नीचे लाने के लिए मिनी सचिवालय की योजना को धतराल पर लाने का दावा किया। लेकिन अभी तक सरकारी कार्यालय अलग-अलग भवनों में संचालित है। इस कारण आमजन को छोटे-छोटे कार्यो के लिए चक्कर लगाना पड़ता है।
फैक्ट फाइल
एक जिले में औसत पंचायत समिति: 11
एक जिले में औसत ग्राम पंचायत: 32
कुल ग्राम पंचायत: 11 हजार 283
पंचायत समिति: 352
(पंचायतीराज विभाग के अनुसार)
एक्सपर्ट व्यू...
ग्रामीण विकास की मूल भावना कागजों में दफन हो गई है। पंचायतीराज संस्थाओं को लगातार कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। पहले पांच विभागों में नियुक्ति से लेकर तबादलों के अधिकार पंचायतीराज विभाग के पास थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। सरकार की ओर से नीतियां पंचायतीराज संस्थाओं पर थोपी जा रही हैं। जबकि वह अपने क्षेत्र के हिसाब से भी प्लान बनाकर विकास कार्य करा सकते हैं। मास्टर प्लान के अनुसार विकास की सरकार को पालना करानी होगी।
एडवोकेट संदीप कलवानियां, सीकर
जनता का दर्द: तो फिर कैसे मिलेगी संकेरे रास्तों से मुक्ति
ग्रामीण अशोक कुमार व सुल्तान सिंह का कहना है कि गांवों में सबसे बड़ी समस्या अभी भी संकेरे रास्ते और जलभराव की है। यदि गांव-ढाणियों का सुनियोजित तरीके से विकास नहीं हुआ तो भविष्य में परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए सरकार को मास्टर प्लान की पालना की दिशा में अभी प्रयास करने होंगे।
Published on:
03 Nov 2022 01:52 pm
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