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जब राजस्थान में यहां एक साथ निकली बारात और शवयात्रा, देखने वाले रह गए हैरान

सैकडों लोग बैण्ड बाजे के साथ दूल्हे का श्रृंगार कर उसे घोडे या फिर उंट पर बैठाकर बारात निकालते हैं।

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रींगस (सीकर). कस्बे की होली प्रदेश में एक अनूठी होली होती है। कस्बे में धूलण्डी के दिन बारात व शवयात्रा एक साथ निकालने की परंपरा है। आगे आगे बैण्ड बाजों के साथ दूल्हे की बारात चलती है तथा उसके पीछे मुर्दे की शव यात्रा। लोग नाचते-गाते अबीर गुलाल लगाते हुए शव यात्रा व बारात में शामिल होते हैं।धूलण्डी के दिन होली खेलने वाले लोग गोपीनाथ मंदिर के बाहर एकत्रित होते हैं। सभी लोग मिलकर घास के पुतले को अर्थी पर सुला देते हैं।होली खेलने वालो में से ही एक जने को दूल्हे के लिए चुना जाता है। सैकडों लोग बैण्ड बाजे के साथ दूल्हे का श्रृंगार कर उसे घोडे या फिर उंट पर बैठाकर बारात निकालते हैं।


दूल्हे की बारात के पीछे ही शव यात्रा निकलती है। उसमें सैकडों लोग शामिल होते हैं। यह यात्रा गोपीनाथ मंदिर से रवाना होकर चौपड बाजार, गणगोरी बाजार, जामा मस्जिद , जोशियों का मौहल्ला, आजाद चौक, चंग बाजार, बालेश्वर मौहल्ला, हरिजन बस्ती होते हुए दशहरा मैदान स्थित शमशान घाट पर पहुचती है। जिसमें शामिल लोग एक दूसरे को गालियां देते हुए चलते हैं। इसके बाद श्मशान घाट में शव का पूर्ण विधि विधान से अंतिम संस्कार किया जाता है। दाह संस्कार में भी बकायदा सभी रस्म निभाई जाती है। इसके बाद सभी लोग वापिस गोपिनाथ राजा मंदिर के सामने पहुंचते हैं और एक दूसरे को होली की शुभकामना देते हैं।

मन मोह लेता है ढप नृत्य
खाचरियावास. फाल्गुनी मस्ती में सीकर के खाचरियावास की फिजा में भी फाल्गुनी रंग जमकर छाता हैै। यूं तो कस्बे के हर मोहल्लों में ढप मंडलियों की ओर से ढप नृत्य व गींदड़ नृत्य के आयोजन किए जा रहे हैं, लेकिन गणगोरी चौक में आयोजित पांच दिवसीय फागोत्सव व गींदड़ महोत्सव पूरे परवान पर रहता है। ढप की लय बद्ध थाप और होली के मनमोहक रंगीली धमाल के बीच मदमस्त होकर झूमते कलाकार समां को फाल्गुनी उमंग कर रहे हैं। जिनका बखूबी साथ युवाओं की टोली भी दे रही है। गींदड़ समिति खाचरियावास के तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय होली धमाल व फागोत्सव में हर शाम सात बजते ही लोगों का हुजूम उमड़ आता है। जो देर रात तक फाल्गुनी उमंग और उल्लास में डूबा नजर आता है।