
...जब कड़वे प्रवचन के प्रसिद्ध जैन मुनि तरुण सागर को 251 लोगों ने कराया एक साथ भोजन
सीकर. जैन भवन में रविवार को हुए कार्यक्रम में समाज के 251 सदस्यों ने विशेष पडग़ाहन कर तरुण सागर महाराज को आहार चर्या करवाई गई। कार्यक्रम में पांच अलग-अलग तरह की ड्रेस पहने श्रद्धालु विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। धार्मिक कार्यक्रमों के साथ सपन्न हुई आहार चर्या में जैन समाज के लोगों ने जीवन को खास अंदाज में जीने का संकल्प लिया। संघस्थ सतीश भैया के अनुसार 12 नवंबर को पिच्छी परिवर्तन होगा और इसी दिन जैन मुनि का विहार जयपुर के लिए होगा। 12 नवंबर 2017 को जैन भवन से विहार कर मुनि दिगंबर जैन मंदिर पहुंचेंगे। पहले पड़ाव तक चार कदम मुनिश्री के संग कार्यक्रम रहेगा। जिसमें सैकंडों लोग जैन मुनि के संग चलेंगे।
दुख कभी सूचना देकर नहीं आता...
जैन मुनि ने कड़वे प्रवचन भाग संख्या आठ में कहा है कि दुख के स्वागत के लिए तैयार रहना चाहिए। क्योंकि दुख कभी सूचना देकर नहीं आता। याद रखना पुण्य का उदय है तो वैभव बिना प्रयास के ही चला जाता है और पापोदय आया तो सारा का सारा वैभव यूं ही चला जाता है। इसलिए जब शरीर ही अपना नहीं है तो स्त्री-पुत्र व धन-वैभव अपने कैसे हो सकते हैं। जिंदगी के एक छोर पर जन्म की आग है तो दूसरा छोर मरण की आग से घिरा है। आग में जीवन राख हो इससे पहले त्याग के पथ पर बढ़ चलो। क्योंकि हंसी और खुशी ही जीवन की संपदा है। जिंदगी तनाव में बीत रही है। तनाव की नाव से उतरिए और हंसी के हवाई जहाज में सवार होने का प्रयास करना चाहिए। मन की पत्नी को मनी कहते हैं। पत्नी के बिना गृहस्थी अधूरी है वैसे ही मनी के बिना मन एक मजबूरी है। तन को छाया और मन को माया अच्छी लगती है।
Published on:
06 Nov 2017 05:43 pm
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