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आम आदमी तक पंहुच रही है मिलावटी दूध की गुणवता,ये है कड़वी हकीकत

सीकर एवं झुंझुनूं जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ पलसाना में 2005-06 के करीब तक ये 6.3 फैट था और एसएनएफ का स्टैंडर्ड 8.6 था।

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पलसाना. रोजमर्रा की आवश्यकता दूध की गुणवत्ता में पचास फीसदी तक गिरावट आ गई है। पलसाना डेयरी से लिए आंकड़ों के अनुसार पिछले सात साल में फैट की मात्रा 1.4 फीसदी तक गिर गई है। पशु चिकित्सकों ने बताया कि मिलावटी दूध के साथ पशुओं में होने वाली किटोसिस बीमारी के कारण भी दूध का औसत फैट गिर रहा है। दूध की गुणवत्ता में आ रही गिरावट को लेकर अलग-अलग मत है।

पशुपालन से जुड़े लोगों की माने तो डेयरियों में दूध की गुणवत्ता की जांच सही तरीके से नहीं होने के कारण मिलावटी दूध आम आदमी तक पहुंच रहा है। वहीं पशुपालक भी बढ़ती महंगाई के कारण गौपालन कर रहे हैं। इसका नतीजा है कि गुणवत्ता के नाम पर बाजार में दूध के रुपए ज्यादा लिए जा रहे हैं लेकिन उस गुणवता का दूध आम आदमी तक नहीं पहुंच पा रहा है। गौरतलब है कि जिले में ढ़ाई लाख मवेशी पशुपालन से जुड़े हुए हैं।


डेयरी में गायों का दूध अधिक

सीकर एवं झुंझुनूूं जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ पलसाना में पिछले सात सालों में प्रति किलोग्राम पर करीब डेढ़ फैट गिर गया है। इधर डेयरी प्रबंधन इसके पीछे तर्क दे रहा कि पशुपालक की गाय का दूध डेयरी में ला रहे हैं इस कारण दूध का औसत फैट गिरा है। डेयरी में नीमकाथाना को छोड कर अधिकांश पशुपालक गाय का दूध ही ला रहे हैं।


बीमारी है कारण

पशुओं के दूध में गिरते फैट प्रतिशत के मामले में मिलावट के साथ ही कुछ बीमारियों भी जिम्मेदार है। इन बीमारियों का साधारणतया पशुपालकों को पता ही नही चल पाता। ऐसे में वो बीमारी से ग्रसित पशु की पहचान ही नही कर पाते। लेकिन पशु के दूध में कमी आने के साथ ही फैट भी कम हो जाता है। ऐसे में विशेषज्ञों की माने तो पशुपालक पशुओं में होने वाली किटोसिस बीमारी का पता लगाकर इसके उपचार का प्रबंध करें।


बयां करते आंकड़े

सीकर एवं झुंझुनूं जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ पलसाना में 2005-06 के करीब तक ये 6.3 फैट था और एसएनएफ का स्टैंडर्ड 8.6 था। वर्ष 2010-11 में औसत फैट बढकऱ 6.4 हो गया जबकि एसएनएफ का स्टैंडर्ड 8.6 ही बना रहा। अगले पांच सालों में प्रति किलोग्राम दूध पर औसत फैट गिरकर 5.3 और एसएनएफ का स्टैंडर्ड भी गिरकर 8.4 हो गया। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2017-18 में औसत फैट गिर कर पांच ही रहा लेकिन एसएनएफ 8.3 के स्टैंडर्ड पर आ गया।


यह है कारण

एक गाय को रखने के लिए पशुपालक को भैंस रखने में काफी कम खर्च करना पड़ता है और दूध का उत्पादन भी ज्यादा मिलता है। ऐसे में अधिक मुनाफा कमाने के लिए पशुपालक गोपालन जोर दे रह हैं। इसके अलावा सरस डेयरी पहले गाय और भैंस के दूध को अलग अलग मापदंडों के अनुसार अलग अलग भावों में खरीदती थी। लेकिन इसके बाद डेयरी ने नुकसान से बचने के लिए गाय और भैंस का दूध एक ही भाव में मिक्स दूध के रूप में खरीदना शुरू कर दिया। जिससे दूध की गुणवता, फैट और एसएनएफ के आधार पर ही उसके भाव तय होते है।

मिलावट का खेल भी है जिम्मेदार

जिले में दूध के गिरते औसत फैट के पीछे जानकार मिलावट के खेल को भी जिम्मेदार मानते है। लम्बे समय से पशु चिकित्सा से जुड़े वरिष्ट चिकित्सक डॉ. नरेन्द्र मेहता बताते हैं कि जिले में दूध को औसत फैट गिरने का एक कारण ये भी है कि दूध की गुणवता का सही तरीके से परीक्षण नही हो पा रहा है और मिलावटी दूध डेयरियों तक पहुंच जाता है।

कम हुआ है औसत फै ट

डेयरी में गायों का दूध अधिक आने से दूध का औसत फैट गिरकर कम हो गया है। गायों में भैंस के मुकाबले अधिक दूध होता है जिसको लेकर पशुपालक गाय पालने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं।
- के.सी. मीणा एमडी, सरस डेयरी, पलसाना


मिलावटी दूध के साथ पशुओं में होने वाली किटोसिज बीमारी के कारण भी दूध का औसत फैट गिर रहा है। ऐसे में पशुपालकों इस बीमारी की पहचान के लिए चिकित्सकों से आवश्यक सलाह लेनी चाहिए।
-डॉ. नरेन्द्र कुमार मेहता, सेवानिवृत अतिरिक्त सहायक निदेशक, पशुपालन विभाग