26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अखबार में आया मोबाइल टॉवर लगाने पर 90 लाख रुपए देने का विज्ञापन, चौंकाने वाली निकली हकीकत

सीकर. अखबार में मोबाइल टावर लगाने का विज्ञापन निकला। टावर लगाने पर 90 लाख रुपए एडवांस, 40 हजार रुपये किराये व एक नौकरी देने की बात थी।

3 min read
Google source verification

सीकर

image

Sachin Mathur

Feb 02, 2020

अखबार में आया मोबाइल टॉवर लगाने पर 90 लाख रुपए देने का विज्ञापन, चौंकाने वाली निकली हकीकत

अखबार में आया मोबाइल टॉवर लगाने पर 90 लाख रुपए देने का विज्ञापन, चौंकाने वाली निकली हकीकत

सीकर. अखबार में मोबाइल टावर लगाने का विज्ञापन निकला। टावर लगाने पर 90 लाख रुपए एडवांस, 40 हजार रुपये किराये व एक नौकरी देने की बात थी। लेकिन, जब युवक इसके चक्कर में फंसा तो वह लुटता ही चला गया। बात पुलिस तक पहुंची तो अब पुलिस ने उत्तराखंड में फर्जी कॉलसेंटर से देशभर में मोबाइल टॉवर लगाने के नाम पर लोगों से ठगी के पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उद्योग नगर पुलिस ने एक सप्ताह तक देहरादून, ऋषिकेश, उत्तराखंड में लोकेशन के हिसाब तक सर्च किया। पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी है। आईपीएस प्रोबेशनर वंदिता राणा ने बताया कि पंकज चौहान, विक्रम राजपूत उर्फ जहर, शरद नेगी, विनोद कुमार उर्फ बिन्नू व सन्नी उर्फ टोटो निवासी उत्तराखंड को गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि टोडास, नागौर निवासी राजेश ने 24 जून 2019 को मुकदमा दर्ज कराया था। उसने 16 जून 2018 को अखबार में विज्ञापन देखा था। उसमें लिखा था कि कंपनी की ओर से खाली जमीन, छत, खेत, प्लॉट पर 4जी व 5जी डिजीटल टॉवर लगवाए। उसमें एडवांस 90 लाख, किराया 40 हजार, नौकरी सैलेरी 15 हजार व 20 साल का एग्रीमेंट देने की बात कहीं। उसने टोल नंबर पर फोन किया। बाद में उसके पास अरूण मिश्रा ने फोन कर कहा कि आप मोबाइल टॉवर लगवाना चाहते है। तब लगवाने की बात पर उसने नाम और पता पूछा। दूसरे दिन मोबाइल पर प्रोपर्टी सलेक्ट होने का मैसेज आया। तब फोन कर कहा कि जमीन सिलेक्ट कर ली गई है। रजिस्ट्रेशन करवाकर 2250 जमा करवाने को कहा। उसने सीकर से विक्रम राजपूत के खाते में रुपए जमा करवा दिए।

बैंक मैनेजर तो कभी कंपनी का सीए बन हड़पे रुपए

विक्रम को कंपनी का सीए बताया गया। अरूण मिश्रा ने दूसरे दिन कॉल कर कहा कि अभिजीत सर आपका काम देखेंगे। अभिजीत ने फोन कर सभी दस्तावेज मंगवा लिए। उसने लीजहोल्ड टैक्स जमा करवाने के लिए 25 हजार मांगे। रुपए जमा कराने के बाद उसने कहा कि आपका चैक बन गया है। 66500 रुपए टैक्स के जमा कराने होंगे। उसने रुपए जमा करा दिए। तब अगले दिन एसबीआई बैंक के नाम से फोन आया कि केसाराम नाम से आपका चैक आया है। उसने 80 हजार रुपए ट्रांसफर किए जाने के मांगे। उसने कहा कि विक्रम के खाते में ही जमा करवा देना। इसके बाद विक्रम ने फोन कर कहा कि आपका पूरा काम हो गया है। अब इंश्योरेंस कराना है। तुम्हे 140000 रुपए जमा कराने होंगे। उसने रुपए जमा करा दिए। अभिजीत ने भी अलग से कमीशन की मांग की।

पुलिस फर्जी खाते के आधार पर पहुंची उत्तराखंड
एएसआई विद्याधर सिंह ने जांच शुरू की। पहले तो वह भी कुछ समझ नहीं पाए। 6 महीने तक उन्होंने जांच की। इसके बाद मोबाइल नंबरों की डिटेल निकाली। साइबर एक्सपर्ट कांस्टेबल अंकुश कुमार की मदद ली। ट्रांसफर हुए खातों की डिटेल निकाली गई। इसके बाद पुलिस को उतराखंड में ठगों के जाल का पता लगा। पुलिस की टीम ट्रेन व बसों से उतराखंड पहुंची। स्थानीय पुलिस की भी मदद ली गई। पुलिस ने सात दिनों तक देहरादून, ऋषिकेश में सघन अभियान चलाया। लोकेशन के हिसाब से जगह की जांच की गई।

नेपाली युवक के फर्जी पहचान पत्र से उतराखंड में खुलवाएं खाते

पकंज गिरोह को संचालित करता है। विक्रम नेपाल का रहने वाला है। वह पिछले दो साल से गिरोह के संपर्क में है। विक्रम के नाम से ही बैंक में फर्जी पहचान पत्र बनवाकर खाते खुलवाए गए। इसके बाद विक्रम के ही खाते में ठगी के रुपए जमा करवाए जाते थे। विक्रम के बैंक खातों के एटीएम पकंज ने ले रखे थे। विक्रम को कॉल करने के 15 हजार रुपए महीने दिए जाते है। सन्नी, विनोद व शरद नेगी भी कॉल कर लोगों को ठगी के झांसे में लेते है। विक्रम के ही खाते में रुपए जमा करवाए जाते है।

सात दिनों तक बस व ट्रेन से कई जगहों पर छिपकर की जांच
ठगों की तलाश में सीकर पुलिस की टीम सात दिनों तक बस व ट्रेन से छिपकर जांच करती रही। स्थानीय पुलिस का भी काफी सहयोग रहा। एएसपी देवेंद्र कुमार शर्मा के नेतृत्व में आईपीएस प्रोबेशन वंदिता राणा के सुपरविजन में आरपीएस वीरेंद्र कुमार शर्मा ने आरोपियों को पकडऩे के लिए पूरी रणनीति बनाई। इसके बाद एएसआई विद्याधर सिंह, हैडकांस्टेबल राधेश्याम मीणा, कांस्टेबल महावीर सिंह, कर्मवीर को उतराखंड में भेजा गया। वहीं साइबर सेल से कांस्टेबल अंकुश कुमार का सराहनीय कार्य रहा।