
Narayan Das Maharaj
सीकर.
राजस्थान के विख्यात त्रिवेणी धाम के संत पद्मश्री नारायण दास महाराज नहीं रहे। शनिवार शाम उनका निधन हो गया। नारायण दास का अंतिम संस्कार दूसरे दिन रविवार दोपहर सवा बारह बजे त्रिवेणी धाम आश्रम परिसर में ही होगा। संत नारायण दास महाराज के निधन की खबर से उनके श्रद्धालुओं में शोक की लहर दौड़ गई। हर कोई उनके अंतिम दर्शन कर विदाई देने के लिए त्रिवेणी धाम आश्रम के लिए रवाना हो गया।
देशभर से हजारों श्रद्धालु अंतिम संस्कार में पहुंचेंगे। साथ ही कई नामचीन हस्तियां भी इस दौरान मौजूद रहेंगी महाराज के शरीर को अंतिम दर्शन के लिए आश्रम में रखा गया है। रविवार को तडक़े तीन बजे से दोपहर बारह बजे तक पार्थिव देह के अंतिम दर्शन किए जा सकेंगे। उनके पार्थिव देह के अंतिम दर्शनों के लिए त्रिवेणी धाम में तडक़े तीन बजे से ही कतारें लग गईं।
Who was Narayan Das s Maharaj Rajasthan
-संत नारायणदास महाराज ने अपना संपूर्ण जीवन जनकल्याण में समर्पित कर दिया।
-उन्होंने देशभर में हजारों मन्दिरों का जीर्णोद्धार करवाया है और कई नए मन्दिरों का भी निर्माण करवाया।
-वे श्रद्धालुओं को गौ रक्षा का संदेश देते थे और भूखे का पेट भरना ही जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य समझते थे।
-वे कहते थे कि जनता का पैसा जनता की सेवा में लगाना ही हमारा उद्देश्य है।
-वे गुजरात के काठिया खाक चौक ब्रह्मपीठ डाकोर धाम में 2004 में गद्दी पर आसीन हुए।
-वर्ष 2001 में प्रयाग महाकुम्भ में उन्होंने पहला शाही स्नान किया। देश-विदेश में उनके हजारों भक्त हैं।
इसी वर्ष राष्ट्रपति ने पद्मश्री से नवाजा था
नारायणदास महाराज आध्यात्म के साथ ही शिक्षा, चिकित्सा और सामाजिक क्षेत्र में भी अपने कार्यों के लिए जाने जाते है। उनको इसी वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्श्री पुरस्कार से सम्मानित किया था।
एक समष्टिहित चिंतक संत खो दिया : गहलोत
जयपुर. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नारायण दास महाराज के देवलोकगमन पर दु:ख व्यक्त किया है। उन्होंने संवेदना संदेश में कहा कि उनके निधन से प्रदेश ने समष्टिहित चिंतक संत को खो दिया है, जिसकी क्षति अपूरणीय है। वे लोगों को शिक्षित व स्वस्थ बनाने तथा जनता का पैसा जनता को अर्पित करने में विश्वास रखते थे।
Updated on:
18 Nov 2018 11:21 am
Published on:
18 Nov 2018 11:14 am
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