
सीकर. राज्य पशु हिरण का शिकार करने पर भले ही फिल्म अभिनेता सलमान खान सालों से न्यायालय में चक्कर लगा रहे हों लेकिन राज्य पशु हरिण का पिछले दिनों शिकार करने के प्रकरण में वन विभाग संभागों की लड़ाई में उलझ कर रह गया है। सीकर और चूरू दोनो रेंज के आलाधिकारी शिकार के क्षेत्र को लेकर एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। इसका नतीजा है कि हिरण का शिकार प्रकरण की जांच फौरी तौर पर की जा रही है। खास बात यह है कि प्रकरण में जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, उसने तो महज अवशेषों की जगह की शिनाख्त की है।
यह है प्रकरण
स्टिंग ऑपरेशन के दौरान पत्रिका टीम रतनगढ़ इलाके के ठिठावता गांव में मोहन बावरिया के घर पहुंची। जहां बावरिया ने कहा कि लडक़े गए हुए हैं हिरण लाने, वापस आते ही 150 रुपए प्रति किलो के हिसाब से दे देंगे। इसके बाद कल्याणपुरा में करणाराम बावरिया से सम्पर्क किया तो उसने भी 150 रुपए किलो के हिसाब से मांस उपलब्ध कराने की बात कही। पत्रिका के पास दोनो स्थानों के वीडियो थे जिन्हें वन विभाग सीकर ने चूरू वन विभाग को सौंप दिया।
यह है कारण
हिरण का शिकार शिड्यूल प्रथम का अपराध है। इसमें कानूनी पेचदगियों के कारण ही वन विभाग कार्रवाई करने से हिचक रहा है। प्रकरण में सबसे बड़ी समस्या साक्ष्य जुटाना है। शिकार करने की पुष्टि, शिकार के चश्मदीद गवाह मिलना, एफआईआर दर्ज करने और न्यायालय में चालान पेश करने की जिम्मेदारी जांच अधिकारी की होती है। न्यायालय की लताड़ से बचने के लिए आलाधिकारी भी फौरी तौर ही मामले को निपटा देते हैं। इस कारण हर कोई जांच अधिकारी बनने से बचता है। ऐसे में राज्य पशु के शिकार के प्रकरण में कार्रवाई नहीं हो पा रही है। आला अधिकारियों को इसकी जानकारी होने के बावजूद स्थानीय अधिकारियों को निर्देश नहीं दिए जा रहे है
रिपोर्ट और वीडियो भेज दिए...
हिरण का शिकार करने और मांस उपलब्ध कराने की जगह ठिठावता है। सीकर कार्यालय के अधीन आने वाली रेंज में एक व्यक्ति की गिरफ्तारी कर दी गई है। अब चूरू वन विभाग की जिम्मेदारी है कि वह हिरण के शिकार पर अंकुश लगाने के लिए एक्शन ले। प्रकरण के वीडियो और लिखित पत्र चूरू कार्यालय को भेज दिया है। इन सबूतो के आधार पर साक्ष्य जुटाने की जिम्मेदारी चूरू रेंज की है।
राजेन्द्र हुड्डा, डीएफओ सीकर
हमारा मामला नहीं है...
हिरण का शिकार करने वाला हमारे क्षेत्र का है लेकिन शिकार सीकर वन विभाग के क्षेत्र में हुआ है। इस कारण ही उन्होंने एफआईआर दर्ज की है। हमारे क्षेत्र में बावारिया नहीं है इसलिए चूरू वन विभाग की कार्रवाई नहीं हो सकी है। कार्रवाई सीकर वन विभाग को करनी चाहिए। इसके लिए उच्चाधिकारियों को प्रकरण की जानकारी दे दी गई है।
सूरत सिंह पूनिया, डीएफओ चूरू
Updated on:
17 Dec 2017 11:13 am
Published on:
17 Dec 2017 11:12 am
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