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दो दोस्तों की ऐसी अनूठी पहल, आपको भी होगा गर्व जब पढ़ेंगे यह खबर

चैलासी स्थित चिकित्सालय में 40 गायों का निशुल्क चल रहा है। वहीं खाने पीने की सुविधा भी निशुल्क है। यह सब महेश कुमार सैनी और बिरजु सिंह चारण अपने खर्चे से कर रहे है। यह दोनो मिलकर कामधेनु चिकित्सालय चला रहे है।

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dinesh rathore

Jun 08, 2017

लावारिस हालत में पड़ी गाय को तड़पता देखा तो गौसेवा के प्रति एेसी लगन लगी कि अपने खर्चे पर पशु चिकित्सालय खोल दिया। ताकि इलाज के अभाव में फिर किसी बेजुबान को पीड़ा नहीं भोगनी पडे़। वर्तमान में अस्पताल में 40 बीमार गायें भर्ती हैं। जिनको निशुल्क उपचार मिल रहा है। साथ में उनके खाने-पीने की सुविधा का बराबर ध्यान रखा जा रहा है।

कथा कर देती हैं गौ संरक्षण में सहयोग

गौ सेवक महेश ने बताया कि उनकी टीम में महिला सदस्य भी शामिल है। नवल बाइसा रामकथा कर लोगों को गौवंश संरक्षण व संवर्धन के लिए तो प्रेरित करती ही है। साथ में कथा के माध्यम से जो धन उपार्जन होता है। वह पैसा भी घायल गायों की चिकित्सा व्यवस्था में उपयोग किया जाता है। इनके अलावा टीम में कान सिंह निर्वाण, अरुण खीचड़, संदीप अग्रवाल, हिम्मत सिंह, आनंद सिंह, सुमित, जीतू, राहुल आदि शामिल हैं। जो घायल गायों को चिकित्सालय तक लाने में सहयोग करते हैं।

दो दोस्तों की अनूठी पहल

दो दोस्त मिलकर अपने स्तर पर ये अस्पताल संचालित कर रहे हैं। जिनमें एक है पुरोहितजी की ढाणी निवासी महेश कुमार सैनी और दूसरे हैं बसंत विहार के बिरजु सिंह चारण। दोनों चार महीने से चैलासी में लावारिस हालत में मिलने वाली बीमार गायों के लिए कामधेनु चिकित्सालय चला रहे है। जहां डाक्टर और नर्सिंगकर्मियों की टीम इन बेबस गायों का निशुल्क इलाज करती है। जिसमें गौवंश के टूटे पैरों को जोडऩे के लिए प्लास्टर करना, जख्मों को भरने के लिए मरहम पट्टी करना और बीमार गायों को दवा आदि देना शामिल है। बतौर, महेश और बिरजु का कहना है कि यदि हर इंसान बेजुबान जानवरों के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने लगे तो हर छोटी बड़ी पीड़ा का समाधान संभव है। नेक काम की शुरूआत दोनों ने मिलकर की थी। लेकिन, अब इनके पास पूरी टीम है। जो कि, घायल गौवंश को बचाने के लिए तैयार खड़ी रहती है। उनका कहना है कि बेजुबानों की सेवा कर उन्हें बेहद सुख की अनुभूति होती है। वे दूसरों से भी इस काम में सहयोग की अपील करते हैं। उनका कहना है कि गौ सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं है।

ऐसी सेवा के ग्रामीण भी हैं कायल

चैलासी में शुरू की गई इस सेवा के ग्रामीण भी कायल हैं। घायल गाय की सूचना मिलने पर किराए का वाहन मौके पर भिजवाया जाता है। यहां आने के बाद घायल गाय की देखरेख की जाती है। जब वह स्वस्थ हो जाता है तो उसे विचरण के लिए वापस खुला छोड़ दिया जाता है।