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छत्तीसगढ़ में पत्थर बनती जा रही 14 साल की मासूम, शरीर पर उग आई कांटेदार परत, जानें कौन-सी है ये दुर्लभ बीमारी?

Chhattisgarh Stone Man Syndrome Case: दंतेवाड़ा जिले की रहने वाली 14 वर्षीय आदिवासी बच्ची राजेश्वरी एक दुर्लभ और गंभीर त्वचा रोग से जूझ रही है, जिसमें उसकी त्वचा धीरे-धीरे सख्त होकर पत्थर जैसी होती जा रही है।

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पत्थर बनती जा रही 14 साल की मासूम (फोटो सोर्स- पत्रिका)

पत्थर बनती जा रही 14 साल की मासूम (फोटो सोर्स- पत्रिका)

Chhattisgarh Stone Man Syndrome Case: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित और दुर्गम आदिवासी इलाके अबूझमाड़ से एक बेहद दर्दनाक और झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। दंतेवाड़ा जिले की रहने वाली 14 वर्षीय आदिवासी बच्ची राजेश्वरी एक दुर्लभ और गंभीर त्वचा रोग से जूझ रही है, जिसमें उसकी त्वचा धीरे-धीरे सख्त होकर पत्थर जैसी होती जा रही है।

यह बीमारी न केवल उसके शरीर को जकड़ चुकी है, बल्कि उसका बचपन, शिक्षा और सामाजिक जीवन भी उससे छीन लिया है। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने इस मामले को फिर से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया है। वीडियो के सामने आने के बाद लोग मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (@vishnudsai) से इस बच्ची के लिए तत्काल मदद की अपील कर रहे हैं।

कौन है राजेश्वरी?

राजेश्वरी छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के दूरदराज और दुर्गम अबूझमाड़ क्षेत्र की निवासी है। वह एक अत्यंत गरीब आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखती है। उसकी उम्र वर्तमान में 13 से 14 वर्ष के बीच बताई जाती है। इस बीमारी का मामला पहली बार वर्ष 2020 में सामने आया था, जब राजेश्वरी मात्र 9 साल की थी। उस समय सामने आए वीडियो में उसके शरीर पर असामान्य रूप से सख्त, पत्थर जैसी परतें और उभार स्पष्ट रूप से दिखाई दिए थे।

चार साल की उम्र से शुरू हुआ दर्द

परिजनों के अनुसार, राजेश्वरी को यह समस्या महज चार साल की उम्र से होने लगी थी। शुरुआत में उसके शरीर पर छोटे-छोटे फफोले उभरे, लेकिन समय के साथ वे सख्त होते चले गए और धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल गए। आज हालात यह हैं कि उसके हाथ, पैर, टांगें और शरीर के अधिकांश हिस्से मोटी, खुरदरी और दरारों वाली परतों से ढक चुके हैं। उसकी त्वचा इतनी कठोर हो गई है कि वह पेड़ की छाल या पत्थर जैसी प्रतीत होती है। हालांकि फिलहाल चेहरे पर इसका प्रभाव कम है, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द इतना गंभीर है कि वह ठीक से चल-फिर, बैठ या दैनिक गतिविधियां नहीं कर पाती।

नहाना और कपड़े पहनना भी बन गया संघर्ष

राजेश्वरी के लिए नहाना, कपड़े पहनना, चलना-फिरना या खेलना जैसी सामान्य गतिविधियां भी असहनीय पीड़ा से भरी हैं। त्वचा में गहरी दरारें और मोटी परतें उसे लगातार दर्द देती रहती हैं। परिवार के सदस्य बताते हैं कि समुचित इलाज के अभाव में उसकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही है।

बीमारी से ज्यादा अज्ञानता ने तोड़ा

राजेश्वरी के चाचा काला राम बताते हैं कि गांव के लोग और बच्चे उससे दूरी बनाए रखते हैं। उन्हें आशंका है कि यह कोई संक्रामक बीमारी है। इसी गलतफहमी के कारण राजेश्वरी सामाजिक रूप से पूरी तरह अलग-थलग पड़ गई है। इस उपेक्षा और तिरस्कार का असर उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी साफ दिखाई देता है। वह स्कूल नहीं जा पाती और न ही अन्य बच्चों की तरह सामान्य जीवन जी पा रही है।

क्या है यह दुर्लभ बीमारी?

चिकित्सकीय भाषा में राजेश्वरी की बीमारी को "इचथियोसिस हाइस्‍ट्रिक्स (Ichthyosis Hystrix)" कहा जाता है। यह एक अत्यंत दुर्लभ आनुवंशिक त्वचा रोग है, जो इचथियोसिस नामक बीमारियों के समूह में शामिल है।

इस बीमारी के प्रमुख लक्षण

  • त्वचा पर मोटी, कांटेदार और शल्क जैसी परतें
  • त्वचा का अत्यधिक कठोर और खुरदरा हो जाना (हाइपरकेराटोसिस)
  • हाथ-पैरों का असामान्य रूप से मोटा होना
  • नाखूनों और बालों में बदलाव
  • कुछ मामलों में बहरापन या तंत्रिका संबंधी समस्याएं

इलाज नहीं, लेकिन देखभाल से मिल सकती है राहत

यह बीमारी संक्रामक नहीं, बल्कि आनुवंशिक है। फिलहाल इसका कोई स्थायी इलाज उपलब्ध नहीं है। हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार-

  • नियमित मॉइस्चराइज़र
  • केराटोलाइटिक क्रीम (जैसे यूरिया आधारित)
  • सही त्वचा देखभाल और निरंतर चिकित्सकीय निगरानी से मरीज की स्थिति में कुछ हद तक सुधार और दर्द में राहत संभव है।

सरकार से मदद की उम्मीद

राजेश्वरी का परिवार बेहद गरीब है और इलाज कराने में पूरी तरह असमर्थ है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के बाद अब प्रशासन और सरकार से इस बच्ची के इलाज, जांच और पुनर्वास की मांग उठ रही है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सिस्टम इस मासूम बच्ची की पुकार सुनेगा, या यह दर्द भी अबूझमाड़ की खामोशी में दबकर रह जाएगा?