
कभी गली की सड़क ही मैदान, अब आईपीएल तक पहुंच रहे हमारे खिलाड़ी
समय के साथ सीकर में खेलों का माहौल भी बदला है। पहले सीकर के ज्यादातर युवाओं का क्रिकेट में कॅरियर गली-मौहल्लों की सीसी सड़कों से शुरू होता था। अच्छे मैदानों के नाम पर उस दौर में महज प्लेन खाली जगह होती थी। फिर भी मेहनत के साथ यहां के खिलाड़ी कॉल्विन से लेकर अन्य प्रतियोगिताओं में चमके। समय के साथ भी निजी एकेडमियों का चलन शुरू हुआ। लेकिन खिलाडिय़ों की संख्या कम होने पर कई एकेडमी बंद भी हो गई। उस दौर में हम छह-सात खिलाडिय़ों ने सीकर को पहचान भी दी। लेकिन संसाधनों की कमी की वजह से अन्य जिलों के युवाओं के हाथ से बाजी जीतना किसी चुनौती से कम नहीं था। क्योंकि मैच प्रतियोगिता में टर्फ विकेट पर होते थे और हम अभ्यास कंटीली झांडियों वाले मैदान पर करते थे। इसके बाद सीकर के युवा आदित्य गढ़वाल का आईपीएल में चयन हुआ तो युवाओं का फिर से क्रिकेट से लगाव बढ़ा। उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में अच्छा स्कोर खड़ा किया तो छोटे सहवाग के नाम से पहचान भी बनी। राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद या अन्य दूसरी एजेन्सी की ओर से स्टेडियम में अच्छा क्रिकेट मैदान विकसित नहीं किया गया। इसके बाद भी हमारे युवा अपने दम पर मेहनत के दम पर आगे बढऩे के लिए जूझते रहे। जिला क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से भी कई बार दावे-वादे किए गए। अब सीकर में सात से अधिक क्रिकेट एकेडमी है और क्रिकेट में कॅरियर बनाने में जुटे पांच हजार से अधिक खिलाड़ी भी। अब शेखावाटी के क्रिकेट के दीवानों की मूलत: रूपगढ़ निवासी हिमांशु शर्मा ने फिर उम्मीद जगाई है। जैसे हम शिक्षा में सिरमौर है उस तरीके से क्रिकेट की पिच पर भी हमारा कोई लाल भारतीय टीम में शामिल होगा उस दिन हम सभी का एक बड़ा सपना पूरा होगा। लेकिन उम्मीद है कि कोई आदित्य, हिमांशु, भव्य, अंशुल की तरह कोई खिलाड़ी चमकेगा और भारतीय टीम में जगह बनाने में सफल होगा। सीकर क्रिकेट को अब उम्मीद भी करनी चाहिए क्योंकि यहां की धरती ने आरसीए को दूसरा सचिव भी दिया है। यहां संसाधन बढ़ेंगे तो निश्चित तौर पर यहां की प्रतिभाएं मेहनत के दम पर तमगा जीतकर भी दिखाएंगी।
अब धोरों का एक लाल और चमका
अब आईपीएल में रूपगढ़ निवासी हिमांशु शर्मा भी चमका है। आरसीबी ने हिमांशु पर भरोसा जताते हुए 20 लाख रुपए में खरीदा है। उम्मीद है कि हिमांशु आईपीएल में बहुत अच्छा करेगा। हम सभी सीकरवसियों की जिम्मेदारी बनती है कि हिमांशु को प्रोत्साहित करने में अब कोई कमी नहीं छोड़े।
शिक्षा की तरह शुरू हो खेलों की काउंसलिग
सीकर की पहचान अब पूरे देश में शिक्षा से है। शिक्षा में जिस तरह से यहां की शिक्षण संस्थाओं ने नवाचार करते हुए युवाओं को अलग-अलग क्षेत्रों में कॅरियर की राहें दिखाई है। अब बदलते दौर में यहां की शिक्षण संस्थाओं को खिलाडिय़ों को तलाशकर तराशने का काम करना होगा। क्योंकि खेलों में कॅरियर की अपार संभावनाएं है।
जैसा कि पूर्व काउंटी खिलाड़ी भंवर छब्बरवाल ने पत्रिका संवाददाता को बताया
Published on:
25 Dec 2022 12:22 pm
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