
प्याज उत्पादक किसानों की कमजोर पैरवी ने एक बार फिर धरतीपुत्रों को ठग लिया है। हाल यह है कि सरकारी खरीद के लिए केन्द्र व राज्य सरकार से मिले आश्वासनों के पूरे नहीं होने से किसानों की कमर टूट गई है। नतीजन जिले के हजारों को मजबूरी में सस्ते दामों में प्याज बेचना पड़ गया है। इससे किसानों में सरकार की उपेक्षा को लेकर खासा रोष है। किसानों को अपनी फसल को जमींदोज तक करना पड़ गया। रही सही कसर रसीदपुरा में प्याज मंडी के शुरू नहीं होने से हो गई है। एेसे में जिले के हजारों प्याज उत्पादक किसानों को राहत मिलना तो दूर आने वाले दिनों में भी मदद की किसानों को उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
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अब यह है तर्क
प्याज की सरकारी खरीद शुरू नहीं होने को लेकर सरकार अजीबोगरीब तर्क दे रही है। खरीद एजेंसी से जुडे अधिकारियो ने बताया कि सरकारी खरीद शुरू नहीं करने के पीछे सबसे बडी वजह प्याज का समर्थन मूल्य नहीं होना है। एेसे में केन्द्र व राज्य सरकार को प्याज की खरीद करनी होगी। हकीकत यह है कि पिछली बार जिले में प्याज की सरकारी खरीद नेफेड ने की थी। उस दौरान सरकार ने हजारों टन प्याज खरीदा था। लेकिन इस बार प्याज की खरीद के लिए बेवजह तर्क दिया जा रहा है।
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सपनों को नहीं मिला धरातल
रसीदपुरा में बनने वाली प्याज मंडी भूमि आंवटन के बाद भी फिर सियासत में उलझ गई है। पहले सीकर जिले में रसीदपुरा प्याज मंडी के लिए बजट नहीं मिला। जब बजट मिला तो काम शुरू कर दिया करीब तीन दर्जन व्यापारियों को लाइसेंस भी दे दिए जो प्याज मंडी शुरू नहीं होने पर फतेहपुर मंडी के चक्कर लगा रह हैं। जबकि कृषि मंत्रालय ने इसे सीकर मंडी के अधीन करने के लिए अधिसूचना तो जारी कर दी लेकिन मंडी अधिकारियों तक इसका पत्र भी नहीं पहुंचा।
प्याज की सरकारी खरीद के लिए कृषि मंत्री को फिर अवगत कराया जाएगा। रसीदपुरा प्याज मंडी के निर्माण में तेजी लाने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा।
गोरधन वर्मा, धोद विधायक
Published on:
23 May 2017 03:47 pm
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