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यहां तो खुद प्यासी है प्याऊ, फरियादियों के कैसे करे हलक तर, ऐसी है स्थिति

सीकर कलक्ट्रेट में आने वाले फरियादियों के हलक तर करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।

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सीकर

सीकर.

रहिमन पानी राखिए, बिना पानी सब सून, पानी गए ना ऊबरे, मोती मानुष चून। रहिम ने अपनी कविताओं के माध्यम से पानी का महत्व बताया। राजस्थान सरकार जल स्वावलंबन अभियान से बूंद-बूंद पानी बचाने का संदेश दे रही है। यह बूंद-बूंद इसलिए बचाई जा रही है ताकि किसी के हलक प्यासे नहीं रहें। पवित्र वैशाख माह में कोई प्याऊ लगा रहा है तो कोई अन्य धर्म करने में व्यवस्त है। लेकिन कलक्ट्रेट में आने वाले फरियादियों के हलक तर करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। कुछ वर्ष पहले वहां स्थाई व अस्थाई प्याऊ लगाई गई थी, लेकिन वे अब खुद प्यासी है। उनमें पानी भरने की व्यवस्था भी नहीं हैं। चिलचिलाती गर्मी में कोई फरियादी गांव से आता है तो कोई दूर दराज की ढाणी से। कोई शहर से आता है तो कोई कस्बे से, लेकिन यहां पानी की अव्यवस्था देख खुद हैरान हो जाते हैं।

मटके भी गायब
कलक्ट्रेट में बहुत सी प्याऊ बनी हुई है, लेकिन उनमें से एक दो को छोडक़र अधिकांश सूखी पड़ी है। किसी में मटके ही नहीं हैं तो किसी में पानी की टंकी जर्जर हो गई है। किसी का नल खराब है तो किसी पर ताला जड़ा हुआ है। जो चार प्याऊ हैं उनमें से तीन का तो पक्का निर्माण हो रखा है। एक में तो लाइट भी फिटिंग हो रखी है। लोहे की जालियों से एक अस्थाई प्याऊ बनाई गई थी, उसमें मटकों को आपस में जोड़ा गया था। मटकों का यह शीतल पेयजल जनता के हलक तर कर रहा था, लेकिन अब इस अस्थाई प्याऊ में मटके तक नहीं है। उसके चारों तरफ लगी लोहे की जाली भी टूट चुकी है। उसकी छत भी जर्जर हो चुकी है।

जेब हो रही ढीली

कलक्ट्रेट में शीतल पानी की प्याऊ नहीं होने से जनता को बाहर से महंगे दामों पर पानी की बोतल खरीदनी पड़ रही है। इस कारण उन पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है। एक बोतल के पंद्रह से पच्चीस रुपए तक लग रहे हैं। यदि एक ही परिवार के चार फरियादी आ जाएं तो सौ रुपए तो पानी पर ही खर्च हो जाएंगे।

फिल्टर भी नहीं
वर्तमान में जो प्याऊ लगी हुई उनमें भी अधिकांश में फिल्टर प्लांट नहीं लगा हुआ। फिल्टर पानी नहीं आने से जनता को मजबूरी में फ्लोराइड युक्त पानी पीना पड़ रहा है। इस कारण उनको फ्लोरोसिस से संबंधित बीमारियां जकड़ रही है। हड्डियां कमजोर हो रही है तो दंात पीले पड़ रहे हैं।

यह है विकल्प

जानकारों का कहना है जिला कलक्टर चाहें तो सोमवार को ही चारों प्याऊ शुरू करवा सकते हैं। इसके लिए किसी स्वयं सेवी संस्था, दानदाता या किसी समाजसेवी संगठन की मदद ली जा सकती है। इसके अलावा चारों प्याऊ का संचालन पहले कैसे होता था, उनकी मदद से पवित्र वैशाख माह में फिर से जनता के हलक तर किए जा सकते हैं।


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