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शिक्षकों के गुस्से पर मरहम लगाने की तैयारी

सरकार ने मांगे शिक्षकों के यूजी-पीजी समान विषय एवं वाइस प्रिंसीपल के मामले में सुझाव

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शिक्षकों के गुस्से पर मरहम लगाने की तैयारी

शिक्षकों के गुस्से पर मरहम लगाने की तैयारी

राज्य सरकार शिक्षकों के गुस्से को शांत करने के लिए मरहम लगाने की तैयारी में है। सरकार चुनावी साल में पदोन्नति के मुद्दे पर पूरी तरह ड्रेमेज कंट्रोल की कवायद में है। पूर्व शिक्षा मंत्री के कार्यकाल में सेवा नियमों में संशोधन कर पदोन्नति के नियमों में कैबिनेट के अनुमोदन के बाद बदलाव किया गया है। इस मामले में राज्य सरकार ने निदेशक को निर्देशित किया है कि तीन अगस्त 2021 को आदेश जारी होने की तिथि तक डिग्रीधारी लोगों को इसमें छूट दी जाए। सरकार ने नियमों में संसोधन का फैसला कैबिनेट की सहमति से किया हैं, तो अब इसमें दुबारा संसोधन भी कैबिनेट की सहमति से किया जा सकता था। सरकार ने ऐसा नहीं कर शिक्षकों को उलझा दिया हैं।

समान विषय की अनिवार्यता निर्धारित
जानकारों के अनुसार कला संकाय के लोग पदोन्नति में पिछड़ रहे थे तथा उनकी शैक्षिक गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही थी। इसकी समीक्षा कर पदोन्नति के लिए यूजी और पीजी में पद सृजित की अनिवार्यता निर्धारित की गई। इस आदेश जारी होने के बाद एक वर्ग इस आदेश के खिलाफ मुखर होकर विरोध करने लगे तो दूसरा पक्ष इस आदेश को लागू करवाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने लगा।

उप प्रधानाचार्य के सृजित किए पद
पूर्व शिक्षामंत्री गोविंदसिंह डोटासरा के कार्यकाल में स्कूलों की व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए तथा प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए प्रदेश के सभी पीईईओ स्कूलों व 275 से अधिक नामांकन वाले स्कूलों के उप प्रधानाचार्य के पद सृजित किए गए थे। इन 12421 पदों को पदोन्नति से भरने का प्रावधान किया गया था। जबकि उक्त पद प्रधानाध्यापक (माध्यमिक स्कूल) के समकक्ष ही किया गया। प्रधानाध्यापक माध्यमिक स्कूल के पद को समाप्त कर दिया गया।

विभागीय समिति का गठन
शिक्षा विभाग के प्रधानाध्यापक माध्यमिक स्कूल के सभी पदों में से 50 प्रतिशत विभागीय सीधी भर्ती के माध्यम से उप प्रधानाचार्य बनने का सपना संजोने वाले लाखों शिक्षक इसके विरोध में धरना प्रदर्शन करने लगे। दूसरी तरफ व्याख्याता वर्ग इसे शत प्रतिशत पदोन्नति से भरने की वकालत करने लगा हैं। दोनों ओर से विरोध होने की स्थिति में सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए विभागीय समिति का गठन किया है। विभागीय समिति ने विभाग को गोलमाल रिपोर्ट प्रस्तुत कर शिक्षक संगठनों एवं शिक्षकों से सुझाव लेने के निर्देश दिए। इसका परिणाम है कि 10 दिन से दोनों वर्ग शक्ति परीक्षण में लगे हैं। हजारों हजार सुझाव अपने कार्यालयों में एकत्रित कर सरकार पर दबाव बनाने के लिए 10 तारीख तक भेजे गए हैं।

सरकार चल रही कुटिल चाल
राज्य सरकार भी केंद्र सरकार की तर्ज पर मूल मुद्दाें से ध्यान भटका कर शिक्षकों के बीच आपसी खींचतान और वैमनस्यता पैदा कर शैक्षिक माहौल को दूषित कर शिक्षकों की एकता को तोड़ने की कुटिल चाल कर रही है। शिक्षकों को सावचेत एवं सावधान रहने की आवश्यकता है। राज्य सरकार को शैक्षिक गुणवत्ता की दृष्टि से नीतिगत और न्यायपूर्ण फैसले करने चाहिए।
विनोद पूनिया, जिलाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत)