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सीकर. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के हिसाब से राजस्थान सरकार की सबसे बड़ी भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के बहिष्कार पर विभाग दबाव में है। ऐसे में बहिष्कार के निर्णय को समझौते में बदलने के लिए उसने रातों-रात निजी अस्पताल संचालकों के खाते में दो करोड़ डलवाए दिए।
जो कि, पिछले कई दिनों से बीमा कंपनी के पास क्लेम के अटके पड़े थे। हालांकि इसके बाद भी अस्पताल संचालक राजी नहीं हुए और उन्होंने मंगलवार रात 12 बजे बाद उपचार की निशुल्क व्यवस्था का बायकाट कर दिया। जिसके कारण मरीजों को उपचार के लिए इधर-उधर भटकना पड़ा। कई सरकारी अस्पतालों की शरण लेनी पड़ी। भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़े निजी अस्पताल संचालकों ने समय पर क्लेम का भुगतान नहीं होने, योजना से हटाने व रोकी गई राशि शीघ्र दिलवाने की मांग को लेकर पिछले सात दिनों से आंदोलित हैं।
लेकिन, उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी। परंतु जब मंगलवार रात बाद इनके द्वारा बीएसबीवाई योजना के बहिष्कार के निर्णय पर विभाग हरकत में आया और एक दिन पहले रातों-रात इनके खातों में दो करोड़ रुपए भुगतान के डलवा दिए। भामाशाह निजी अस्पताल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. बीएल रणवां के अनुसार भुगतान के अलावा उनकी मांग योजना से हटाए गए अस्पतालों को दोबारा शामिल करने, बेवजह निरस्त किए गए क्लेम को पुन: खोलकर भुगतान करने की भी थी।
जिनको पूरा नहीं करने तक निजी अस्पताल संचालक अपने अस्पताल में भामाशाह बीमा योजना के पात्र मरीज को भर्ती नहीं करेंगे। इसके लिए सभी संचालकों ने अपने अस्पताल के बाहर इसका बैनर व पोस्टर भी चस्पा कर दिया है। इधर, सीएमएचओ डा. अजय चौधरी ने बताया कि प्रयास कर संचालकों के खाते में करीब दो करोड़ रुपए जमा करा दिए गए थे। इसके बाद तीन करोड़ रुपए और जमा होने थे। हालांकि योजना के बहिष्कार के बाद सरकारी अस्पताल के स्टाफ को मुस्तैद कर दिया गया है। मरीज को भर्ती करने और उसके उपचार में परेशानी नहीं आने दी जाएगी।
वार्ता का नहीं मिला न्यौता
रोगी के इलाज के बदले क्लेम की राशि रोकने वाली बीमा कंपनी की सद्बुद्धि के लिए मंगलवार सुबह निजी अस्पताल संचालकों ने जयपुर रोड पर यज्ञ भी किया। संचालकों का आरोप था कि सरकार की इतनी बड़ी योजना ठप होने जा रही है और अभी तक उसकी तरफ से वार्ता की पहल नहीं की गई है।
Updated on:
08 Aug 2018 02:11 pm
Published on:
08 Aug 2018 10:29 am
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