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शेखावाटी में इन राजपूत दूल्हा-दुल्हन ने अपनी शादी में पेश की अनूठी मिसाल, मेहमानों के लिए बन गई चर्चा का विषय

शादी के सात फेरों के बाद जब बात दहेज की हुई तो डा. दूल्हे ने दहेज का सामान लेने के लिए दुल्हन पक्ष को साफ तौर पर इंकार कर दिया।

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सीकर.

शेखावाटी में डॉक्टर बने एक राजपूत जोड़े ने अपनी शादी के दिन अनूठी पहल करते हुए दहेज लेने से मना कर दिया। दूल्हा-दुल्हन दोनों ही डॉक्टर है। इस पहल के बाद शादी में आए मेहमानों ने दोनों को आर्शीवाद दिया। दूल्हे का कहना कि दहेज जैसी कुरीतियों के कारण कई घर बर्बाद हो गए। इसे समाज में जड़ से उखाड़ फेंकना है। बिना दहेज के शादी कर चिकित्सक दूल्हा-दुल्हन ने सामाजिक बुराई को त्यागने का संदेश दिया है। दूल्हा व दुल्हन का मानना था कि दहेज जैसी कुरीति में फंस कर आज भी सैकंड़ों परिवार बर्बाद हो रहे हैं। जबकि शादी तो सात फेरों का पवित्र बंधन है। जिसमें लेन-देन की शर्त रखना बेमानी है। जानकारी के अनुसार बसंत विहार निवासी मदन सिंह शेखावत जो कि, खुद एलआईसी में विकास अधिकारी हैं। इनके लडक़े डा. देवेंद्र सिंह की शादी आसरवा निवासी श्रवण सिंह की लडक़ी डा. रेखा राठौड़ से कुचामन सिटी में हुई थी। शादी के सात फेरों के बाद जब बात दहेज की हुई तो डा. दूल्हे ने दहेज का सामान लेने के लिए दुल्हन पक्ष को साफ तौर पर इंकार कर दिया। इसके बाद वे बिना दहेज लिए दुल्हन को लेकर विदा हो गए। इधर, जब शादी में आए मेहमानों को पता चला तो उन्होंने भी दूल्हा-दुल्हन को आर्शीवाद देकर नई पहल की सराहना की। डा. देवेंद्र के पिता मदन सिंह का कहना था कि उन्होंने अपने बड़े बेटे गजेंद्र ङ्क्षसह की शादी में भी एक रुपया दहेज का नहीं लिया था।

दहेज एक सामाजिक बुराई
हमारे समाज में दहेज एक सामाजिक बुराई के रूप में उभरा है। इस कुप्रथा की काली छाया से कन्याएँ बुरी तरह से आक्रांत हैं । इससे अनेक गृहिणियों शारीरिक व मानसिक बीमारियों की शिकार बनती हैं । इससे स्त्री जाति का महत्त्व घट गया है ।

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