
गुढ़लिया-अरनिया ग्राम पंचायत गादरवाड़ा गूजरान के गुवाड़ा स्कूल का नया भवन एवं बच्चों को पढ़ाते शिक्षक। Photo- Patrika
Transport Vouchar Scheme Rajasthan: सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए संचालित ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना में किए गए बदलाव से सीकर जिले के सैकड़ों स्कूलों के शिक्षक और विद्यार्थी परेशानी में आ गए हैं। सरकार ने इस सत्र से योजना की पूरी राशि सीधे विद्यार्थियों के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है।
पहले यह राशि एसडीएमसी (स्कूल विकास एवं प्रबंधन समिति) के खातों में जमा होने का विकल्प होने से कई स्कूलों ने अपने स्तर पर वाहन सुविधा शुरू कर रखी थी। अब राशि सीधे बच्चों के खातों में जाने से शिक्षकों द्वारा अब तक वहन की गई वाहन लागत की भरपाई मुश्किल हो गई है। वहीं, स्कूल स्तरीय वाहन सुविधा बंद होने से विद्यार्थियों की पढ़ाई पर भी प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है।
नामांकन बनाए रखने के लिए जिले की कई स्कूलों में शिक्षक अपनी जेब से वाहन सुविधा का खर्च उठा रहे हैं। कई स्कूलों में दो से तीन लाख रुपए तक की राशि शिक्षक स्वयं दे चुके हैं, जबकि कुछ स्कूलों ने कर्ज लेकर वाहन संचालित किए हैं। अब ट्रांसपोर्ट वाउचर की राशि सीधे विद्यार्थियों के खातों में जाने से बच्चों से यह राशि लेना शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
वर्तमान शैक्षणिक सत्र में जिले के करीब 34 हजार विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ मिलेगा। उनके खातों में पांच करोड़ रुपए से अधिक की राशि डीबीटी के माध्यम से ट्रांसफर की जाएगी।
केस–1
खुड़ी स्थित शहीद नेमीचंद राबाउमावि में स्कूल स्तर पर दो बाल वाहिनियां संचालित हैं। कक्षा 1 से 12 तक की छात्राओं के लिए ये वाहन प्रतिदिन तीन राउंड करती हैं। इस सुविधा के लिए स्टाफ अब तक करीब चार लाख रुपए अपनी जेब से खर्च कर चुका है। राशि एसडीएमसी के खाते में नहीं आने से समस्या और बढ़ गई है।
केस–2
राउमावि कुड़ली में विद्यार्थियों के लिए एक वाहन संचालित किया जा रहा है, जो दो फेरों में बच्चों को लाता–ले जाता है। यहां स्टाफ की जेब से अब तक 2.90 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं।
2015 में पत्रिका के नींव अभियान से प्रेरित होकर जिले की 500 से अधिक स्कूलों में बालवाहिनी की व्यवस्था की गई थी। उनमें लाखों रूपये शिक्षकों की जेब से लग रहा है। सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है। अकेला शिक्षक कब तक व्यवस्था करता रहेगा। नए सत्र में ये सुविधा मुश्किल होगी।
Published on:
16 Dec 2025 02:39 pm
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