
सीकर। जिम्मेदारों की अनदेखी कहें या मरीजों का दुर्भाग्य। जिले में मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद सुपर स्पेशिलिटी चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने का दावा किया जा रहा है लेकिन हकीकत यह है कि कल्याण अस्पताल में यूरोलॉजी विभाग तो खुल गया लेकिन यूरोलॉजी के आधुनिक उपकरण ही नहीं है। जिससे यूरोलॉजी से जुड़े मरीजों को सरकारी अस्पताल में निशुल्क उपचार का फायदा नहीं मिल पा रहा है। मजबूरी में यूरोलॉजी से जुड़े मरीजों को हायर सेंटर पर रैफर किया जा रहा है। जबकि अस्पताल की ओपीडी में रोजाना पथरी, प्रोस्टेट, यूरिनरी इंफेक्शन, किडनी संबंधी जटिलताएं और मूत्र मार्ग की रुकावट जैसे लक्षणों वाले 50 से 60 मरीज आ रहे हैं। पिछले पांच साल में अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ रही है लेकिन उपचार के संसाधन सीमित हैं। आवश्यक उपकरण और अलग से ऑपरेशन थियेटर मिलने पर कई सर्जरी स्थानीय स्तर पर संभव हैं, जिससे रेफरल घटेगा।
अस्पताल में एंडोस्कोपिक सर्जरी सेट, लेज़र मशीन, सी-आर्म जैसे जरूरी उपकरणों का अभाव है। जिसके कारण कई बार मामूली दिखने वाली लेकिन सर्जरी की जरूरत वाले केस भी रेफर करने पड़ते हैं। इससे मरीजों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है और इलाज में देरी भी हो रही है।जबकि यूरोलॉजी के लिए लेजर, एंडोस्कोपिक यूनिट बनाने, प्रशिक्षित स्टॉफ और आधुनिक सर्जिकल उपकरण की जरूरत होती है। जिससे मरीज का समय, पैसा बचाते हुए बेहतर इलाज किया जा सके।
चिकित्सकों के अनुसार गर्मी और सर्दी के सीजन में शरीर की जरूरत के अनुसार पानी न पीना, अधिक नमक व फास्ट फूड का सेवन और अनियमित दिनचर्या यूरोलॉजी रोगों के बढ़ने की मुख्य वजह हैं। समय पर जांच और इलाज से गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है। यूरोलॉजी में पुरुषों और महिलाओं में गुर्दे की पथरी, यूरिनरी ट्रेक इंफेक्शन, प्रोस्टेट बढ़ने की समस्या, प्रोस्टेट कैंसर , मूत्राशय का कैंसर, किडनी कैंसर, जैसी बीमारियां के मरीज आते हैं। जिनका दवा, लेज़र या ओपन सर्जरी जैसी तकनीकों का उपयोग करके इलाज किया जाता है।
अस्पताल में यूरोलॉजी के उपकरण नहीं होने से परेशानी होती है। अस्पताल में ओपन सर्जरी
डॉ. शिवशंकर, सहायक आचार्य यूरोलॉजी सीकर मेडिकल कॉलेज
Published on:
16 Dec 2025 11:57 am
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