स्कूल की तर्ज पर चल रहे कॉलेज
सीकर जिले के गर्ल्स कॉलेज को छोड़कर 14 में से 13 कॉलेजों में कार्यवाहक प्राचार्य व नोडल प्रभारी लगे हुए हैं। मुख्यालय पर संचालित राजकीय वाणिज्य कॉलेज सहित कई कॉलेजों तो एसिस्टेंट प्रोफेसर के भरोसे ही चल रहे है। बानगी तो यह है कि कुछ नए कॉलेजों में तो इसी साल ज्वाइन करने वाले लोगों को नोडल प्रभारी बनाकर लगाया गया है। फतेहपुर के कन्या महाविद्यालय में सीकर से छह-छह दिन के लिए डेपोटेशन पर लगाया जा रहा है। प्राचार्य पद का अनुभव नहीं होने के चलते ये लोग कॉलेजों को स्कूल की तरह चला रहे हैं।
विभाग नहीं सुन रहा मुख्यमंत्री के आदेश
कॉलेज शिक्षा विभाग ने वरिष्ठता सूची में लोक सेवा आयोग की ओर से ऐसे चयनित आरक्षित सूची के सहायक, सह आचार्यों को उनकी नियुक्ति तिथि से पहले नियुक्ति सहायक एवं सह आचार्यों के ऊपर वरिष्ठता देने के चलते प्रभावित पक्षकारों को हाई कोर्ट से वरिष्ठता सूची पर सात जनवरी 2021 पर स्थगन आदेश प्राप्त करना पड़ा। सेवा निवृत सह आचार्य ने मुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री तथा शासन सचिव उच्च शिक्षा को प्रतिवेदन देकर नियम व प्रस्तुत प्रपत्रों के तहत दोबारा जांच कर विवादास्पद वरिष्ठता सूची वापिस लेने की मांग की है। उच्च शिक्षा मंत्री ने 17 अक्टूंबर 2022 को डॉ शर्मा के प्रतिवेदन पर विचार कर दोबारा आवश्यक कार्यवाही के निर्देश भी जारी कर दिए। लेकिन उच्च शिक्षा एवं कॉलेज शिक्षा विभाग इस ओर कोई कार्रवाई नहीं दे रहा है।
3 से अटकी है प्राचार्य व आचार्यों की पदोन्नति
25 साल से लगातार जिस नियम के तहत वरिष्ठता सूची के आधार पर प्राचार्य व आचार्यों की पदोन्नति हो रही थी। कॉलेज शिक्षा की ओर से जारी उसी वरिष्ठता सूची में एकाएक 7 जनवरी 2021 को फेरबदल कर दिया गया। सूची में ऐसे सह आचार्यों को उस तिथि से वरिष्ठ कर दिया गया, जिस तिथि को वो कॉलेज शिक्षा के कैडर में शामिल ही नहीं हुए थे। राजस्थान शिक्षा महाविद्यालय शाखा नियम 1986 के नियमों के खिलाफ सूची जारी करने से पदोन्नतियों में गतिरोध उत्पन्न हो गया। कॉलेजों में प्रोफेसर पद पर विवाद ग्रस्त वरिष्ठता सूची जारी होने के कारण एक अप्रैल 2018 की स्थिति में तीन साल से प्राचार्य व आचार्यों की पदोन्नतियां भी रुकी हुई है। बिना प्रमोशन के वित्तीय लाभ का नुकसान झेलते हुए सेवानिवृत्त होना पड़ रहा हैं।
स्थाई प्राचार्य लगाने की मांग
महाविद्यालय में प्राचार्य पद सबसे महत्वपूर्ण पद होता है। यह पद रिक्त होने से शैक्षणिक एवं सह शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित होती है। तथा विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास प्रभावित है। राज्य सरकार को सभी महाविद्यालयों में स्थाई प्राचार्य लगाने के साथ समय-समय पर प्राचार्य प्रशिक्षण के लिए कार्यशालाओं का भी आयोजन करवाना चाहिए।
मनोज धानिया जिला प्रमुख, एबीवीपी
सामान्य व वित्तीय कामकाज प्रभावित
अधिकांश महाविद्यालयों में तीन साल से अधिक समय से प्राचार्यों के पद रिक्त हैं। जिसके अभाव में महाविद्यालय का सामान्य एवं वित्तीय कामकाज प्रभावित होता है। संगठन की मांग है कि जल्द डीपीसी संपन्न करवाकर महाविद्यालयों के सुचारू संचालन एवं महाविद्यालयों के विकास के लिए प्राचार्य पदस्थापित हों।
डॉ.सुशील कुमार बिस्सु, महामंत्री, रुक्टा-राष्ट्रीय