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परिवर्तन के लिए क्रांतिकारी सोच जरूरी

ग्रामीण महिला शिक्षण संस्थान में वार्षिक उत्सव मनाया

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परिवर्तन के लिए क्रांतिकारी सोच जरूरी

सीकर.

ग्रामीण महिला शिक्षण संस्थान शिवसिंहपुरा के सिल्वर जुबली हॉल में दो दिवसीय वार्षिकोत्सव व दीक्षांत समारोह का समापन रविवार को रंगारंग कार्यक्रमों के साथ हुआ। कार्यक्रम के पहले दिन का आगाज प्रो. सेवानिवृत प्राचार्य हीरालाल जांगिड़ ने किया। दीक्षांत समारोह में पधारे अतिथियों का स्वागत संस्थान अध्यक्ष सम्पत बाटड़ ने किया। कार्यक्रम में प्रो. नौरंगलाल, सेवानिवृत निदेशक, कॉलेज शिक्षा ने आजादी का मतलब बताते हुये गणतंत्र को परिभाषित किया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां देकर मन मोह लिया।
वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व चीफ प्रवर्तन निदेशालय करनैल सिंह व दिल्ली के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसके काकरान ने किया। इस मौके पर करनैल सिंह ने शिक्षा के साथ संस्कारों को जरूरी बताते हुए कहा कि सफलता के लिए सपने देखना जरूरी है। उन्होंने बालिकाओं से आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया।
इस मौके पर प्राचार्यों डॉ. डीएन शर्मा, बी. शान्था लक्ष्मी, सुरेन्द्र सुंडा व परमेश्वरी देवी ने अपनी संस्थाओं का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। अतिथियों ने द्विवर्षीय पत्रिका ’प्रयास’ का विमोचन किया। कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. एसके काकरान ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक व्यवस्था की जर्जरता को दूर करने के लिए क्रांतिकारी सोच रखना आवश्यक है। कार्यक्रम में संस्थान के उपाध्यक्ष प्रो. शिवनाथ सिंह, सहसचिव जगदीश मूंड, प्रो गुमानाराम, महेन्द्र सिंह, एडवोकेट लक्ष्मण सिंह, प्रो. जेडी सैनी, जवाहर सिंह, कर्नल राजेश भूकर, रतन सिंह गोठड़ा, हरफूल सिंह बाटड़, मदन सिंह बाटड़, भगवान सिंह झाझडिय़ा, डॉ. सीएम कटारिया, रतनसिंह पिलानियां, बालूसिंह रूहेला, सुशीला, अमरचंद सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। संस्थान सचिव ओमप्रकाश चलका ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन व्याख्याता डॉ. संगीता गर्वा, डॉ. अनिता आर्य व सुरेंद्र सुंडा ने किया।