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सीकर में यहां दौड़ रही ब्रॉडगेज की ट्रेनें, मगर यात्रियों को नहीं हो रहा फायदा, जानिए क्यों

यात्रियों की मांग है कि रुट पर विभाग पैसेंजर गाडिय़ों की संख्या में इजाफा करें ताकी दिल्ली जाने वाले यात्रियों को फायदा मिले

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Neemkatha rail line

नीमकाथाना. रेलवे ने फुलेरा से रेवाड़ी रुट पर करोंड़ों रुपय खर्च कर मीटरगेज से ब्रॉडगेज ट्रेक बिछा दिया,मगर यात्रियों को इसका कोई फायदा नहीं मिला। विभाग ने ट्रैक पर पैसेंजर गाडिय़ों की बजाए दिनभर मालगाडिय़ां को ही ज्यादा दौडा दिया। वर्ष 2009 में मीटरगेज को ब्रॉडगेज ट्रैक में बदलते समय यात्रियों के सपनों के खुब पंख लगे थे कि नीमकाथाना स्टेशन से लंबीदूरी की गाडिय़ां खुब दौड़ेगी, लेकिन यात्रियों के सपनों के अरमानों पर पानी फिर गया।

रुट पर लंबी दूरी की गाडिय़ां बढ़ाने की बजाए रेलवे ने हर चंद मिनट में मालगाडिय़ों की जरुर आवक बढ़ा दी। मीटरगेज ट्रैक पर करीब 25 गाडिय़ां प्रतिदिन चलती थी,लेकिन वर्तमान में गाडिय़ोंं का आकड़ा घट कर मात्र 8 ट्रेनों में ही सीमट गया। यात्रियों की मांग है कि रुट पर विभाग पैसेंजर गाडिय़ों की संख्या में इजाफा करें ताकी दिल्ली जाने वाले यात्रियों को फायदा मिले ओर सड़क पर हादसों में कमी आए। इसके अलावा नीमकाथाना से दिल्ली बस में सफर करने वाले यात्रियों का ट्रेन किराया में भी अंतर आएगा इससे उनको अर्थिक लाभ भी होगा साथ ही बेहतर सुविधा भी मिलेगी।

सप्ताह में तीन दिन नसीब होती है लंबे रुट की गाड़ी
यात्रियों को सप्ताह में केवल तीन दिन ही लंबे रुट की गाडिय़ां नसीब होती है। जिनमे 2 दिन चंडीगढ़-बान्द्रा तथा 1 दिन बान्द्रा-दिल्ली है। जबकी मीटरगेज पर प्रतिदिन लंबे रुट की गाडिय़ां तो चलती थी इसके अलावा किसी भी साइड में जाने वाले यात्रियों को हर एक घंटे में ट्रेन मिल जाती थी। मगर अब रुट केवल मालगाडिय़ों का ही बन कर रह गया।

ट्रेन नहीं चलने का यह भी है कारण
मीटरगेज के समय प्रतिदिन यात्रियों की संख्या साढ़े चार हजार से पांच हजार के बीच रहती थी वह घटकर अब एक हजार से पन्द्रह सौ के बीच रह गई। उस दरमीयान प्लेटफार्म पर हर यात्रियों की टिकीट चैक हुआ करती थी वर्तमान में किसी भी यात्री की टिकीट चैक नहीं होती है। यात्री बेखौफ बिना टिकीट ट्रेन में सफर करते है। इससे रेलवे को राजस्व का नुकसान होता ही है तथा आंकड़ों में रुट कम आय वाले स्टेशनों की गिनती में आ जाता है। ये भी रुट पर गाड़ी नहीं चलने का मुख्य कारण है। रेलवे ने स्टेशन को आदर्श स्टेशन भी बना दिया, लेकिन सुविधा तो मीटरगेज से भी खराब हो रही है।

नहीं है कोच इंडिगेटर
स्टेशन गाडिय़ों के साथ अपनी मुलभूत सुविधाओं को भी मोहताज है। प्लेटफार्म पर इंडिगेटर नहीं होने के कारण 2 मिनट ट्रेन के ठहराव के दौरान लंबे रुट पर जाने वाले बुजुर्ग यात्रियों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इससे कई बार हादसे की भी संभावना बनी रहती है।