25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सीकर : चुनाव करीब आते ही जनप्रतिनिधियों में लगी ये होड़, गर्मायी सियासत

यह बेहद ही गंभीर विषय है। उन्होंने कहा मेरे 40 साल के राजनैतिक जीवन में ऐसा मामला नहीं देखा।

2 min read
Google source verification
ashk ali tak

सीकर. चुनाव करीब आते ही जनप्रतिनिधियों में विकास का श्रेय लेने की सियासत तेज हो गई है। पूर्व राज्यसभा सांसद अश्कअली टांक ने कहा कि भाजपा के इशारे पर जिला प्रशासन ने उनके कोटे से दस लाख रुपए अम्बेडकर भवन के लिए खर्च नहीं किए जबकि फतेहपुर विधायक की अनुशंषा पर स्वीकृति जारी कर दी। यह बेहद ही गंभीर विषय है। उन्होंने कहा मेरे 40 साल के राजनैतिक जीवन में ऐसा मामला नहीं देखा। एक ही जगह, एक ही प्रोजेक्ट की स्वीकृति को सरकार कैसे खरिज कर सकती है। पत्रकारों से बातचीत में सांसद ने बातों ही बातों में फतेहपुर सीट से दावेदारी भी जता दी।

फतेहपुर तो मुस्लिमों की परम्परागत सीट
अश्क अली टांक ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अब तक फतेहपुर सीट कांग्रेस के लिहाज से मुस्लिम दावेदारों की परम्परागत सीट रही है। उन्होंने कहा कि प्रत्याशियों की हार के बाद भी कांग्रेस ने यहां से प्रत्याशी नहीं बदले। पत्रकार वार्ता जैसे ही सोशल मीडिया में वायरल हुई तो लोगों ने जातिगत समीकरण के जरिए सवाल भी खड़े किए।

और महरिया पर हमला
टांक ने फतेहपुर विधायक नंदकिशोर महरिया के परिवार को पहले तो अपना ही परिवार बताया। इसके बाद सियासी हमले भी किए। हालांकि वह खुलकर बोलेने से बचते हुए नजर आए। जाट नेताओं के सीकर से अल्पसंख्यक और फतेहपुर से जाट को टिकट देने के सवाल पर कहा कि पार्टी का सिपाही हूं। पार्टी जो भी आदेश देगी वह मानने को तैयार हूं। टांक ने यह भी कहा कि सीकर व चूरू जिले के कई नेताओं की निगाह भी इस फतेहपुर सीट पर है। लेकिन मेरा जुड़ाव फतेहपुर से वर्षो पुराना है।

तीन साल तक याद क्यों नहीं आई
अम्बेडकर भवन कार्यक्रम के बाद दोनों के कार्यकर्ता भी आमने-सामने है। कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर टांक को घेरना शुरू कर दिया है। लोगों का कहना है कि टांक कांग्रेस सरकार के समय भी राज्यसभा सांसद है। यदि उनको फतेहपुर व सीकर जिले को कोई बड़ी सौगात देनी थी उस समय क्यो नहीं दी। लंबे अर्से से सीकर में चल रही जिलाध्यक्ष की कवायद को लेकर टांक ने कहा कि संगठन ने जिलाध्यक्षों के नाम को लेकर लगभग तैयारी कर ली है। 400 ब्लॉक अध्यक्षों के नाम भी तय है। संगठन अब इस दिशा में विचार कर रहा है कि जो पदाधिकारी विधायक का चुनाव नहीं लडऩा नहीं चाहते उनको ही जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी जाए। उन्होंने कहा कि संगठन के पैरामीटर में जो फिट होगा वहीं जिलाध्यक्ष होगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कुछ जगह अपवाद भी हो सकता है। उधर फतेहपुर नंद किशोर महरिया ने कहा कि विधायक व सांसद कोटे से विभिन्न कार्यो की अनुशंसा की जाती है। लेकिन इसके लिए खाते में पैसा होना चाहिए। यदि खाते में पैसा होने और कार्यो की अनुशंषा करने के बाद भी जिला प्रशासन ने ऐसा किया है तो यह आश्चर्यजनक है। इसकी जांच होनी चाहिए। इस मामले को जनता के बीच भी ले जाया जाएगा।

मेर कार्यकाल में मामला नहीं आया
-संभवतया मेरे कार्यकाल में यह मामला नहीं आया। फिर भी मामले की जांच कराई जाएगी। माननीय सदस्य से कभी इस संबंध में बातचीत भी नहीं हुई।
नरेश कुमार ठकराल, जिला कलक्टर, सीकर