लिख चुके हैं सुधार को
जानकारी के अनुसार अकेले एसके अस्पताल में हालात यह हैं कि यहां दिमाग की जांच करने वाली मशीन ईईजी पिछले दो महीने से खराब है। स्टाफ का कहना है कि जांच के लिए उपकरण को सुधरवाने के लिए कई बार लिखकर दे चुके हैं। लेकिन, सुनवाई नहीं की जा रही है। इसके अलावा वेंटीलेटर बगैर उपयोग के धूल फांक रहे हैं। पेट के अंदर की जांच के काम आने वाली गेस्ट्रोस्कोप मशीन खराब पड़ी है। ट्रोमा का ओटोक्लेव सिस्टम रूक-रूक कर चलता है। ब्लड शुगर, किडनी व लीवर सहित 16 तरह की जांच बताने वाली मशीन बॉयोकेमेस्ट्री खराब होने के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। टीएमटी मशीन को खराब हुए महीनों हो गए थे। वो सुविधा भी हाल ही में दुरुस्त करवाई गई है।
कई बार जारी हुए आदेश… एसॅके अस्पताल के निरीक्षण के दौरान कई बार विभाग के मंत्री व विधायक सहित प्रशासनिक अधिकारी जिम्मेदारों को इन खराब उपकरणों को हटाने या फिर ठीक कराने के निर्देश दे चुके हैं। लेकिन, अनदेखी के कारण इनमें सुधार नहीं हो पा रहा है। जिसक खामियाजा बीमारों को भुगतना पड़ रहा है।
04 दिन में… बदलने का है प्रावधान अस्पतालों में स्थापित उपकरणों की कंपनी के साथ आरएमएससी के जरिए एमओयू होता है। जिसके तहत खराब होने वाले उपकरणों को चार दिन में बदलने का प्रावधान है। ज्यादा देरी होने पर संबंधित कंपनी पर पैनल्टी भी लगाई जा सकती है। इसके साथ संबंधित कंपनी के टोल फ्री नंबर वार्ड इंचार्ज या व्यवस्था देखने वाले के पास होते हैं। जिनपर उपकरण व मशीन खराब होने की सूचना दी जा सकती है। इसके बाद या तो कंपनी के मैकेनिक उस उपकरण को सुधारने आते हैं। ज्यादा खराब स्थिति पर मशीन को कंडम घोषित कर दिया जाता है। जिसकी बाद में नई खरीद की जा सकती है। हालांकि अस्पताल उपकरण प्रबंधन का कहना है कि खराब उपकरणों की जानकारी संबंधित कंपनी व जयपुर के उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई जा चुकी है। सुधार नहीं होने पर दोबारा रिमाइंडर दिया जाएगा।
डेढ़ हजार आते हैं मरीज
एसके अस्पताल में प्रतिदिन करीब डेढ़ हजार लोग उपचार के लिए आते हैं। लेकिन, उपकरण खराब होने के कारण इनमें कइयों को बाहर का रास्ता देखना पड़ता है। धोद से आए कमलकांत के अनुसार मशीन खराब होने से उसकी भतीजी चीन्नू की ईईजी जांच नहीं हो पाई। जो बाहर निजी अस्पताल में करवानी पडेग़ी। इधर, मोहल्ला बिसातियान की हमीदा का कहना था कि उसकी बहू के पेट में दर्द है। डॉक्टर ने दवा देने से पहले जांच के लिए लिखा था। लेकिन, मशीन खराब होने से स्टाफ ने मना कर दिया। जांच के अभाव में दवा भी आधी-अधूरी ही काम आएगी।
एसके अस्पताल में प्रतिदिन करीब डेढ़ हजार लोग उपचार के लिए आते हैं। लेकिन, उपकरण खराब होने के कारण इनमें कइयों को बाहर का रास्ता देखना पड़ता है। धोद से आए कमलकांत के अनुसार मशीन खराब होने से उसकी भतीजी चीन्नू की ईईजी जांच नहीं हो पाई। जो बाहर निजी अस्पताल में करवानी पडेग़ी। इधर, मोहल्ला बिसातियान की हमीदा का कहना था कि उसकी बहू के पेट में दर्द है। डॉक्टर ने दवा देने से पहले जांच के लिए लिखा था। लेकिन, मशीन खराब होने से स्टाफ ने मना कर दिया। जांच के अभाव में दवा भी आधी-अधूरी ही काम आएगी।
एक्सरे मशीन खराब
खाटूश्यामजी. सीएचसी में गत एक हफ्ते से एक्सरे मशीन खराब है। रोजाना 20 के करीब एक्सरे जांचे होती हैं। मशीन के खराब होने के कारण क्षेत्र से आने वाले मरीजों को रींगस, पलसाना या श्रीमाधोपुर जाना पड़ रहा है।
खाटूश्यामजी. सीएचसी में गत एक हफ्ते से एक्सरे मशीन खराब है। रोजाना 20 के करीब एक्सरे जांचे होती हैं। मशीन के खराब होने के कारण क्षेत्र से आने वाले मरीजों को रींगस, पलसाना या श्रीमाधोपुर जाना पड़ रहा है।
अप्रैल 2016 से बंद यूनिट
फतेहपुर. धानुका अस्पताल में ब्लड स्टोरेज यूनिट अप्रेल 2016 से बंद पड़ी है। हॉस्पिटल में ट्रोमा सेंटर बना हुआ है। ब्लड यूनिट में ब्लड नहीं होने से मरीजों को परेशानी होती है।
ब्लड स्टोरेट फ्रिज दो साल से खराब
लक्ष्मणगढ़. सामुदायिक केन्द्र में ब्लड स्टोरेज यूनिट बंद पड़ी है। यहां लगभग नौ साल पहले 2008 में खुली इस यूनिट पर सरकार की ओर से अभी तक एक भी स्टाफ की नियुक्ति नहीं की गई। साल में लगभग आधा दर्जन ब्लड डोनेशन कैम्प भी लगाये जाते हैं।