1. भर्तियों में अलग से कोटा
अभी तक एक भी भर्ती नहींसरकार की नई नीति में संविदा कर्मियों को नियमित करने के लिए आगामी समय में होने वाली भर्तियों में अलग से कोटा तय करने की बात कही थी। फिलहाल 80 हजार से अधिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है। लेकिन अभी तक एक भी भर्ती में एक भी पद अलग से नहीं निकाला गया है।
2. सीधे नियमितीकरण:
आठ महीने में नहीं जुटा सके संख्यासरकार ने नए कैडर के समय घोषणा की पहले संविदा कर्मियों की संख्या जुटाई जाएगी। इसके बाद नियमित करने की राह खोली जाएगी। लेकिन आठ महीने में सरकार संख्या भी नहीं जुटा सकी।
3. सभी विभागों में अलग कैडर
खुल सकेगी तबादलों की राह भी संविदाकर्मियों के लिए राजस्थान कांन्ट्रेक्चुअल अपॉइंटमेंट टू सिविल पोस्ट्स रुल्स-2021 बना दिए गए। इसके जरिए संविदा कर्मियों के तबादले होने थे। लेकिन यह सौगात भी अभी तक कर्मचारियों को नहीं मिली है। जबकि प्रदेश में पिछले दिनों ही तबादलों को अनलॉक किया गया था।
कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद एक जनवरी 2019 को संविदा कर्मचारियों की समस्या के समाधान के लिए मंत्री मंडलीय उपसमिति का गठन किया गया था। इसमें तत्कालीन ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला को अध्यक्ष बनाया गया था। तत्कालीन चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, तत्कालीन शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश और खेल मंत्री अशोक चांदना को सदस्य बनाया गया था। कमेटी में कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव को सदस्य सचिव बनाया गया था। 2021 में अलग कैडर बनाने का दावा किया। 2022 में इसके आदेश भी जारी हो गए लेकिन राहत फिलहाल दूर नजर आ रही है।
भाजपा: पांच साल उलझा रहा मामला फाइलों में
भाजपा सरकार ने 2 जनवरी 2014 को संविदाकर्मियों की समस्याओं के निराकरण के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। इसमें तत्कालीन मंत्री राजेंद्र राठौड़ को अध्यक्ष बनाया गया था। तत्कालीन मंत्री यूनुस खान, अजय सिंह को सदस्य बनाया गया था। कमेटी में सदस्य सचिव कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव को बनाया गया था। पांच साल में सरकार ने कई बार संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था।