
सीकर. शेखावाटी के बेटों में देशभक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा हुआ है। इस बात का अंदाजा गांव-गांव में शहीद प्रतिमाएं और घर-घर में फौजी बेटे देख सहज लगाया जा सकता है। युद्ध चाहे पाक से हो या चाइना से या फिर देश की रक्षा के लिए किसी खास मिशन को अंजाम देना हो, यहां के बहादुर बेटों का हौसला देखते बनता है। ऐसे ही बहादुर बेटे थे रामदेव कटारिया। 32 साल पहले रामदेव कटारिया शहीद हो गए, मगर उनकी शहादत आज भी युवाओं को देश रक्षा के लिए प्रेरित कर रही है।
शहीद कटारिया को तीस को देंगे श्रद्धांजलि
पलसाना में अम्बेडकर कॉलोनी गोवटी रोड पर कटारिया का शहीद स्मारक बना हुआ है। यहां हर साल 30 दिसम्बर को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन होता है, जिसमें कस्बे के अनेक लोग हिस्सा लेकर कटारिया की शहादत को याद कर उन्हें नमन करते हैं।
ऐसे शहीद हुए थे कटारिया
सेवानिवृत अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ओमप्रकाश कटारिया ने बताया कि उनके भाई शहीद रामदेव कटारिया का जन्म 10 जुलाई 1963 को सीकर जिले के पलसाना में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा पलसाना के सरकारी स्कूल और फिर सीकर के चितालांगिया स्कूल में पढ़े।
इसी दौरान कटारिया का भारतीय वायुसेना में चयन हो गया। पहली ज्वाइनिंग हासीमारा आसाम में चेतक हेलीकॉप्टर के पायलट के रूप में मिली। 30 दिसम्बर 1985 को चेतक हेलीकॉप्टर हासीमारा से अन्य एयर स्टेशन पर जाते समय क्रेश हो गया और रामदेव कटारिया अपने तीन अन्य साथियों के साथ शहीद हो गए।
Published on:
28 Dec 2017 01:57 pm
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