
सीकर.
बिना सुविधा व संसाधनों के अभाव में भी सफलता की इबारत लिखी जा सकती है। यह सच कर दिखाया है ठिकरिया खुर्द के एक दिव्यांग खिलाड़ी अंकित ङ्क्षसह राठौड़ ने। जिसको तैराकी के अभ्यास के लिए ना तो कोई स्वीमिंग पुल मिला और ना ही कोच सहित स्वीमिंग किट की कोई सुविधा। लेकिन, अभावों के बीच फिर भी माता-पिता ने अपने इस बेटे की रूचि को जिंदा रखा और पशु बेचकर व कपड़े सिलकर लाडले को तैराकी के लिए तैयार किया। जिसके बलबूते अंकित ने भी छह ऐसे रिकार्ड कायम कर दिए, जिनको तोड़ पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। जी हां, रिकार्डधारी अंकित के पिता दुर्गा ङ्क्षसह एक पैर से विकलांग हैं और वर्तमान में पशु चराकर अपना जीवन यापन करते हैं। जबकि मां पूजा कंवर सिलाई कर घर-परिवार को पाल रही है। बतौर अंकित का कहना है कि एक बार खेलने के लिए उसे कहीं दूर पहुंचना था। लेकिन, किराए के पैसे नहीं होने के कारण पिता को पाली हुई भेंड़ बेचनी पड़ गई और मां ने सिलाई की बचत से टिकट के पैसों का इंतजाम किया। लेकिन, जब वापस लोटा तो हाथ में जीत का मैडल देखकर वे भी खुशी से झूम उठे थे। अंकित गांव में ही बने छोटे से हौद में तैराकी की तैयारी करता था। चौथी क्लास में ही राज्य स्तरीय गोल्ड मैडल लिया। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और तैराकी में 60 से अधिक मैडल प्राप्त कर पांच नए रिकार्ड अपने नाम कर लिए।
2010 में सौ मीटर बटर फ्लाई सट्रोक में 1.04 सैकंड का रिकार्ड राजसमंद के जितेंद्र के नाम था। लेकिन, अंकित ने इसी प्रतियोगिता में यह दूरी महम एक मिनट में तय कर यह रिकार्ड अपने नाम कर लिया।
.50 मीटर बेक स्ट्रोक में अपना पुराना रिकार्ड 30 सैकंड का तोड़कर 28 सैकंड में यह दूरी तय कर नया रिकार्ड कायम किया।
04 गुणा सौ मीटर मेडले रिले में 1998 में 4.49 सैकंड का रिकार्ड जयपुर की टीम के नाम था। लेकिन, अंकित ने केवल 4.36 सैकंड में पार कर यह रिकार्ड भी अपने कब्जे में ले लिया।
200 मीटर आईएम में 2005 में उदयपुर के भरत ने 2.34 सैकंड में यह रिकार्ड बनाया था। लेकिन, अंकित ने इसमें भी 2.20 सैकंड में यह तैराकी प्रतियोगिता पार कर यह रिकार्ड भी अपने नाम कर लिया।
04 ुगुणा 100 मीटर एफएस रिले में अंकित ने महज 4.08 सैकंड में पूरा कर रिकार्ड को तोड़ डाला है।
ओलंपिक है सपना
बीए प्रथम वर्ष के विद्यार्थी अंकित का कहना है कि उनका अगला निशाना ओलपिंक में मेडल हासिल करने का है। जिसकी तैयारी के लिए एक घंटे दौड़ सहित करीब पांच छह घंटे तैराकी का विशेष अभ्यास कर रहा हूं। इधर, स्वामी केशवानंद शिक्षण संस्थान ने अंकित के लिए राष्ट्रीय स्तर के कोच की व्यवस्था कर रखी है।
Updated on:
03 Sept 2017 01:46 pm
Published on:
03 Sept 2017 01:43 pm
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