
रमेश शर्मा/युगलेश शर्मा
कोरोनाकाल के बाद भले ही शेखावाटी में धार्मिक पर्यटन निरंतर बढ़ रहा हो लेकिन धार्मिक पर्यटन बढ़ाने के लिए खाटूश्यामजी कॉरिडोर सहित कई सरकारी घोषणाएं के क्रियान्वयन की धीमी रफ्तार के कारण पर्यटक शेखावाटी का वैभव देखने नहीं पहुंच पा रहे। अभी पर्यटक खाटूश्यामजी, सालासर, जीणमाता मंदिरों के दर्शन कर वापस जा रहे हैं। शेखावाटी में रानी शक्ति, शाकम्भरी हर्ष पर्वत, लक्ष्मणगढ़ किला सहित अनेक दर्शनीय स्थलों और भव्य हवेलियों को अब भी पर्यटकों का इंतजार है।
राजस्थान के बाहर से आने वाले पर्यटकों को शेखावाटी के अन्य धार्मिक स्थलों और हवेलियों के वैभव के बारे में जानकारी नहीं है। इसलिए वे यहां से शेखावटी का वैभव और अन्य स्थलों को देखे बिना ही लौट जाते हैं। इसी वजह से पर्यटकों की संख्या में गिरावट आ रही है। प्रदेश की जीडीपी में पर्यटन का 17 फीसदी योगदान होने के बावजूद शेखावाटी पर्यटन सर्किट प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है।
शेखावाटी की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार शिक्षण संस्थाएं और धार्मिक पर्यटन हैं। सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नवाचार शुरू करे तो यहां की अर्थव्यवस्था बेहतर हो सकती है।
अरुण भूकर, पर्यटन मामलों के विशेषज्ञ
पर्यटन विभाग पर्यटन क्षेत्रों के विकास व पर्यटकों की सुविधा बढ़ाने के लिए पूरा प्रयास कर रहा है। आने वाले समय में जिले के पर्यटन स्थलों में और सुधार देखने को मिलेगा।
अनु शर्मा, उपनिदेशक, पर्यटन विभाग, सीकर
मंडावा, नवलगढ़, फतेहपुर, डूंडलोद, अलसीसर, मलसीसर और महनसर जैसे कस्बों में समृद्धि की प्रतीक सैकड़ों प्राचीन हवेलियां हैं लेकिन ये जर्जर हो रही है। पर्यटक इन्हें देखने आएं भी तो गंदगी से उनका ’सत्कार’ होता है। फतेहपुर में पुराने सिनेमा हॉल के पास इतनी गंदगी है कि नाक पर कपड़ा रखना पड़ता है। मंडावा की सिकुड़ी गलियों में गंदगी पसरी पड़ी है।
खाटूश्यामजी में कॉरिडोर पर सौ करोड़ का खर्च प्रस्तावित है। एक्सपर्ट्स मानते हैं इसके बाद खाटूश्यामजी में श्रद्धालुओं की आवक तेजी से बढ़ेगी। 2023 में कुल 2.05 करोड़ भक्तों ने बाबा श्याम के दर्शन किए। खाटू के अलावा फतेहपुर में भी पर्यटकों की संख्या एक साल में 1.06 लाख बढ़कर 4.93 लाख पहुंच गई है।
शेखावाटी की हवेलियां न केवल ऐतिहासिक धरोहर हैं, बल्कि पर्यटन के लिए भी एक महत्वपूर्ण आकर्षण हैं। इन हवेलियों के कारण शेखावाटी में विदेशी पर्यटक आते हैं और फिल्मों की शूटिंग होती है। विज्ञापन शूटिंग के साथ शादी समारोहों के लिए भी कई लोग आते हैं। अकेले मंडावा और नवलगढ़ में ही प्रतिवर्ष लगभग 30-30 करोड़ राजस्व देते हैं। इनमें हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। इसके बावजूद इन हवेलियों और कस्बों की हालत पर कोई तरस नहीं खा रहा।
Updated on:
23 Jan 2025 07:53 am
Published on:
23 Jan 2025 07:43 am
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