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सीकर. पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्याल, सीकर के कुलगुरु प्रो. डॉ. अनिल कुमार राय व रजिस्ट्रार श्वेता यादव ने एक राष्ट्रीय संगठन के बड़ेदायित्वान व्यक्तियों के बैठक करने के बाद आखिरकार 40 दिन बाद असिस्टेंट प्रोफेसरों को ज्वाइन करवा दिया है। गौरतलब है कि आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा, राजस्थान जयपुर ने 24 जुलाई को एक एक आदेश जारी कर राजकीय विधि महाविद्यालय, सीकर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रामचरण मीणा, श्री कल्याण कन्या महाविदयाल, सीकर में पदस्थापित असिस्टेंट प्रो. रामसिंह सरावग और कन्हैयालाल जांगिड़ को पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्याल, सीकर में कार्य व्यवस्थार्थ लगाया था। तीनों ही शैक्षणिक स्टाफ अपनी संबंधित कॉलेजों से उसी दिन दोपहर को कार्य मुक्त हो गए थे लेकिन श़ेखावाटीविश्वविद़्यालय में पदभार ग्रहण नहीं करवाया था। गौरतलब है कि इस मुद्दे को राजस्थान पत्रिका ने प्रमुखता से लगातार प्रकाशित किया था। यही कारण रहा कि आखिर में यूनिवर्सिटी प्रशासन व कुलगुरु प्रो. डॉ. अनिल कुमार राय को राज्य सरकार व उच्च शिक्षा विभाग के निर्देशों की पालना में मजबूरी में असिस्टेंट प्रोफेसरों को नियुक्ति देनी पड़ी।
रजिस्ट्रार श्वेता यादव ने 25 जुलाई को आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा राजस्थान, जयपुर के कमिश्नर को पत्र लिखा था कि यूनिवर्सिटी कार्य व्यवस्था के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की अनुमति नहीं दे सकती है। यूनिवर्सिटी के अधिनियम, कानून या अध्यादेश में विश्वविद्यालय के मूल पदों के विरूद्ध ऐसी बाहरी कार्य व्यवस्था नियुक्तियों का कोई प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद एक राष्ट्रीय संगठन व एक अन्य संगठन के पदाधिकारियों ने कुलगुरु से वार्ता की। सूत्रों ने बताया कि स्थानीय संगठन के एक पदाधिकारी ने यूनिवर्सिटी के कुलगुरु से माफी मांगी, इसके बाद ही सारा मामला सुलझ सका।
तीनाें कॉलेजों के असिस्टेंट प्रोफेसर्स ने 24 जुलाई से लेकर 31 अगस्त तक हर दिन शेखावाटी विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर जाकर अपनी लाइव उपस्थित दर्ज करवाकर उसकी मेल यूनिवर्सिटी की वेबसाइट और आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा, राजस्थान जयपुर की मेल पर करते थे। रजिस्ट्रार ने उन्हें यूनिवर्सिटी की मेल आईडी पर मेल करने से कार्य में बाधा आने की बात कही थी। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने परीक्षा निदेशक का कार्य कर रहे संजीव कुमार को भी रिलीव कर दिया।
शेखावाटी विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्य व्यवस्थार्थ लगे दो प्राध्यापकों डॉ. रविंद्र कटेवा व डॉ. अरिंदम बासु को 22 दिन बाद 14 अगस्त को रिलीव किया था। इन दोनों के साथ ही डॉ. राजेंद्रसिंह को भी यह कहते हुए कार्यमुक्त कर दिया था कि यूनिवर्सिटी में नियमित कार्मिकों की भर्ती प्रक्रियाधीन है। ऐसे में डॉ. राजेंद्रसिंह की विश्वविद्यालय में आवश्यकता नहीं है। डॉ. राजेंद्रसिंह को पांच माह पहले 18 फरवरी को ही उन्हें उच्च शिक्षा विभाग ग्रुप-3 ने डेपुटेशन पर लगाया था। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने एक सितंबर को दोबारा से डॉ. राजेंद्रसिंह को कार्यभार ग्रहण करवा दिया है। ऐसे में यूनिवर्सिटी प्रशासन व अधिकारियों पर भी सवालिया निशान उठता है।
इस संबंध में यूनिवर्सिटी के कुलगुरु प्रो. डॉ. अनिल कुमार राय व रजिस्ट्रार श्वेता यादव से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
Published on:
06 Sept 2025 11:34 pm
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