
फिसड्डी रहा शेखावाटी विवि, इन दो विश्वविद्यालयों ने मारी बाजी
रविन्द्र सिंह राठौड़
सीकर. पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विवि हमारे युवाओं की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहा है। प्रदेश में अलवर, भरतपुर व सीकर विश्वविद्यालय की एक साथ स्थापना हुई थी। अलवर व भरतपुर विवि ने राजस्थान विवि के नियमों को अपनाते हुए शोध विभाग शुरू कर दिया है। जबकि हमारा शेखावाटी विवि अभी तक नियम बनाने में ही उलझा हुआ है। शोध करने वाले युवाओं का कहना है कि एक बार शोध कार्य शुरू हो सकता था इसके बाद नियम यहां की स्थितियों के हिसाब से बनते रहते। ऐसे में फिलहाल यहां के युवाओं को दूसरे शहरों में शोध करने के लिए जाना पड़ रहा है। जबकि हर चुनाव में विवि की व्यवस्था को पटरी पर लाने का वादा होता है, लेकिन जिम्मेदार अभी तक विवि को खुद का घर भी नहीं दिला सके हैं।
भरतपुर विवि में 2018 में ही नोटिफिकेशन जारी
पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय की ओर से अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। जबकि भरतपुर विवि ने नए सत्र के लिए पीएचडी का नोटिफिकेशन 12 अक्टूबंर 2018 एवं अलवर विवि ने 14 मई 2019 को जारी कर प्रक्रिया शुरू कर दी है। विश्वविद्यालय की यह ढिलाई विद्यार्थियों के साथ-साथ इस विश्वविद्यालय से संबंधित महाविद्यालयों में कार्यरत उन सुपरवाइजरों पर भी भारी पड़ रहा है, जो शोधार्थियों के मार्गदर्शन करने के योग्य होते हुए भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
इसलिए शुरू होनी चाहिए रिसर्च
राजकीय महाविद्यालय सुजानगढ़ के असिस्टेंट प्रोफेसर पवन भंवरिया ने बताया कि एनटीए हर साल यूजीसी-नेट की परीक्षा का आयोजन करता है। इस परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को यूजीसी, जीआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) प्रदान करती है। यह फैलोशिप जब प्राप्त होती है, जब विद्यार्थी पीएचडी करें। भारत सरकार की ओर से 18 जुलाई 2018 को जारी राजपत्र के अनुसार अब यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए सन 2021 से पीएचडी अनिवार्य होगी, हो सकता है यह नियम जल्द ही महाविद्यालयों में भी नियुक्ती के लिए लागू हो। सेवारत असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए भी आगे प्रमोशन के लिए पीएचडी अनिवार्य है। शेखावाटी क्षेत्र से हर साल कई विद्यार्थी जीआरएफ के लिए पात्र होते है। लेकिन सीकर के विवि में पीएचडी की सुविधा न होने के कारण उन्हें अन्यत्र रिसर्च के लिए जाना पड़ता है।
इनका कहना है
पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय स्वयं का ऑर्डिनेश तैयार कर पीएचडी शुरू करना चाहती है। विश्वविद्यालय के स्वयं के स्टेच्यूट पर गर्वनर की सहमति मिल चुकी है। ऑर्डिनेश में कुछ संशोधन कर 29 मई को गर्वनर के पास भेजा गया है। गर्वनर से अनुमति मिलने के बाद ही पीएचडी की प्रक्रिया शुरू होगी।
डॉ. अशोक कुमार महला, परीक्षा नियंत्रक पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यायल, सीकर
विवि खुलने के साथ यहां की उम्मीद जगी थी। अभी तक शोध कार्य शुरू नहीं होने के कारण युवाओं को दूसरे शहरों में जाना पड़ रहा है।
अमित कुमार, रिसर्च विद्यार्थी
Published on:
31 May 2019 11:02 am
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