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थानागाजी रेप पीडि़ता के बाद सीकर की दामिनी ने पुलिस में मांगी नौकरी, बोली- दरिंदों को मैं दूंगी सजा

Sikar Damini Rape Case : सामूहिक बलात्कार के बाद 22 ऑपरेशन का दर्द झेलनी वाली दामिनी ने जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक को पत्र देकर उसे भी पुलिस में भर्ती करने की गुहार लगाई है।

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Sikar Damini Rape Case : सामूहिक बलात्कार के बाद 22 ऑपरेशन का दर्द झेलनी वाली दामिनी ने जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक को पत्र देकर उसे भी पुलिस में भर्ती करने की गुहार लगाई है।

थानागाजी रेप पीडि़ता के बाद सीकर की दामिनी ने पुलिस में लगाई गुहार, बोली- दरिंदों को मैं दूंगी सजा

जोगेंद्र सिंह गौड़, सीकर.

Sikar Daminirape Case : अलवर के थानागाजी में सामूहिक बलात्कार ( Thanagazi Gang Rape ) का शिकार हुई पीडि़ता को पुलिस में नौकरी देने के बाद सीकर की दामिनी ( rape victim ) ने भी सरकार से हक मांग लिया है। इससे पहले सामूहिक बलात्कार के बाद 22 ऑपरेशन का दर्द झेलनी वाली दामिनी बाकायदा रैन बसेरे में रहकर अपने बालिग होने का इंतजार करती रही और अब 18 साल की हो जाने पर जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक को पत्र देकर उसे भी पुलिस में भर्ती करने की गुहार लगाई है। ताकि घटना के बाद से रैन बसेरे में मुफलिसी का जीवन बसर कर रही पीडि़ता अपने पैरों पर खड़ी हो सके और जिम्मेदार दरिंदों को सलाखों के पीछे पहुंचा सके। बतौर दामिनी 12 साल की उम्र में उसे ऐसे जख्म मिले हैं जिनको, ताउम्र भूल पाना संभव नहीं है। लेकिन, बेकसूर मिली दर्द की सजा के बदले वह सरकार से हिसाब चाहती है। क्योंकि उसके साथ हुई घटना ने उसकी खुद की पहचान छीन ली है और वह जीवनभर घर बैठकर अपनी मां पर बोझ नहीं बनना चाहती है। बजाय इसके कुछ बनकर भविष्य में मुकाम हासिल करने की मंशा रखती है। दामिनी का कहना है कि सरकार बलात्कार पीडि़ताओं के साथ भेदभाव नहीं कर सकती। इसलिए नौकरी की मांग सरकार तक पहुंचाई है। जिम्मेदारों का तर्क है कि मांग आगे तक पहुंचाई जाएगी। क्योंकि नौकरी देना उनके हाथ में नहीं है।

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हरे हैं जख्म
दामिनी की मां का कहना है कि सालों पुरानी घटना को याद करके उसकी बेटी आज भी सहम जाती है। जब-तक सरकार दामिनी का कोई बंदोबस्त नहीं करके देती तब-तक समाज के ठेकेदार इन जख्मों को कुरेदने से बाज नहीं आएंगे। अब बूढ़ी होने पर उसकी हड्डियां भी जवाब देने लगी है। चिंता सताती है कि उसके बाद उसकी लाडो का क्या होगा और बिना रोजगार के बूते वह अपना पेट कैसे भरेगी।

गांव में भी कुछ नहीं बचा
बलात्कार का सदमा झेल रहे पीडि़त परिवार का कहना है कि घटना के बाद गांव वालों ने भी उनका साथ छोड़ दिया है और घर के मुखिया की मौत हो जाने पर उनके हिस्से की जमीन भी उनको नहीं मिली। यहां किसी को कहने पर टिका-टिप्पणी सुनने को मिल रही है। जबकि उनको अब रैन बसेरा भी खाली करने के लिए कहा जा रहा है।

दाने-दाने को मोहताज
खुद का घर नहीं होने पर दामिनी और उसकी मां रैन बसेरे में अपना जीवन काट रहे हैं। पीडि़त परिवार का कहना है कि 2012 में बलात्कार की घटना के बाद शहर के लोगों से जो मदद मिली वह तो इलाज में खर्च हो गई। ऐसे अब उनके पास कुछ भी नहीं बचा है। बूढ़ी मां पड़ौसी में झाड़ू-पोचा कर दो जून की रोटी जुटा रही है।

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