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सीकर जिला परिषद में सियासी ड्रामा, सीइओ-प्रमुख आमने-सामने

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सीकरJul 19, 2018 / 01:11 pm

vishwanath saini

Sikar Zila parishad general Body meeting on 18 july 2018

Sikar Zila parishad general Body meeting on 18 july 2018

सीकर. बिना विपक्ष के छह महीने बाद होने वाली गांवों की सरकार की साधारण सभा की बैठक अपनों में ही उलझ गई। लक्ष्मणगढ़ विधायक गोविन्द सिंह डोटासरा के बैठक स्थगित करने के प्रस्ताव पर अधिकारी और नेता आमने-सामने हो गए। लगभग दो घंटे चली जुबानी जंग में सदन की मर्यादा तार-तार हो गई। इस बीच विधायक झाबरसिंह खर्रा ने यहां कह दिया जिस अफसर को बैठक में रहना है रहे वरना घर जाए।

 

उन्होंने कहा कि अधिकारी ऐसा व्यवहार करेंगे तो जान-बचाना मुश्किल हो जाएगा। इसके बाद जिला प्रमुख ने अपने हिसाब से बैठक भी शुरू करा दी। बैठक कलक्टर व जिलास्तरीय अधिकारियों ने जनप्रतिनिधियों के सवालों के जवाब दिए। लेकिन जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी रामनिवास जाट एक शब्द भी नहीं बोले। देर शाम जिलास्तरीय अधिकारी भी एकजुट हो गए और कलक्टर को भविष्य में जनप्रतिनिधियों के इस तरह का व्यवहार करने पर बैठकों का बहिष्कार करने की चेतावनी दे दी।


चिट्टी से बवाल सीइओ ने दिया नियमों का हवाला


साधारण सभा की बैठक साढ़े ग्यारह बजे शुरू होनी थी। लेकिन 11.45 तक शुरू नहीं हुई तो सदस्य ताराचंद धायल ने कहा कि बैठक शुरू की जाए विपक्ष नहीं आएगा। इस पर सीइओ रामनिवास जाट ने कहा कि लक्ष्मणगए़ विधायक गोविन्द सिंह डोटासरा ने बैठक करने पर विशेषाधिकार हनन का मामला बनने की बात कही है। सीइओ ने सरकार के सत्र बुलाने संबंधी आदेश भी पढ़कर सुनाए। इस बीच जिला कलक्टर नरेश कुमार ठकराल भी पहुंच गए और उन्होंने भी नियमों का हवाला दिया।


बनाया दवाब जिला प्रमुख आ गईं गुस्से में
सदस्य रेखा जांगिड़, सुरेश शर्मा ने कहा कि लगभग सात महीने बाद तो अब बैठक हो रही है। इस पर भी अब टालने की बात हो रही है। ताराचंद धायल ने कहा कि अब 22 बैठक होनी थी, लेकिन महज सात बैठक हुई है। विधायक रतन जलधारी ने भी कहा कि विधायकों की बैठक तो आए दिन चलती रहती है। आप बैठक स्थगित नहीं कर सकते है। दवाब बढ़ता देख जिला प्रमुख गुस्से में आ गई बोली, बैठक तो आज ही होगी। सीइओ ने कहा कि मैं इस बैठक में कानूनी रूप से शामिल नहीं हो सकता हूं।


सदस्य बोले, फिर हमें क्यों नहीं कराया फोन
हंगामा बढऩे पर सदस्यों ने अधिकारियों को घेर लिया। सदस्यों का तर्क था कि जब विकास अधिकारियों को फोन किया तो हमें फोन क्यों नहीं किया गया। इतनी-इतनी दूर से सदस्य आ गए बैठक नहीं करनी थी तो फिर सभी को फोन करवा देते। इस पर सीइओ व कलक्टर चुप रहे।


नेता ऐसा व्यवहार करने लग गए तो जान बचाना मुश्किल
बैठक के शुरू होने पर पर ही शुरू हुई सियासत बाद में उलझती गई। इस दौरान श्रीमाधोपुर विधायक ने कहा कि जिस तरह से अधिकारी व्यवहार कर रहे हैं उससे ऐसा माहौल बन रहा है कि अधिकारी और नेताओं में आपस में लात-घूंसे चले। यदि यह जनप्रतिनिधि अपनी पर आ गए तो जान बचाना भी मुश्किल हो जाएगा।


…और बैठक में इन प्रस्तावों पर मुहर
बैठक में मनरेगा के तहत सरकारी स्कूलों के चारदीवारी निर्माण, खेल प्रतियोगिताओं में शामिल होने वाले खिलाडिय़ों को अधिक भत्ता देने, सड़कों के घटिया निर्माण की जांच कराने, आंगनबाड़ी केन्द्रों के नामांकन, पीएचसी में मोर्चरी निर्माण व एसके स्कूल में शारीरिक शिक्षक लगाने का मामला उठाया। सीइओ रामनिवास जाट का कहना है कि सरकार के आदशों की पालना करना हमारी जिम्मेदारी है।

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