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इनसे मिलिए, इन्होंने दो बेटियों के बाद कराई नसबंदी, अब बन रही इन पर Documentary

समाज में जहां बेटियों को आज भी बोझ माना जा रहा है। बेटों की चाहत में जहां लिंग परीक्षण हो रहे है। दूसरी तरफ समाज को मिसाल देने वाले एेसे परिवार भी है जिन्होंने बेटियों को ही सब कुछ मान लिया।

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समाज में जहां बेटियों को आज भी बोझ माना जा रहा है। बेटों की चाहत में जहां लिंग परीक्षण हो रहे है। दूसरी तरफ समाज को मिसाल देने वाले एेसे परिवार भी है जिन्होंने बेटियों को ही सब कुछ मान लिया। भैरूपुरा निवासी सुभाष चंद ने बताया कि उसके दो बेटी हितांशी व अंशु भामू है। इसके बाद नसबंदी करा ली। बकौल, सुभाष व उनकी पत्नी सुमन का कहना है कि यदि बेटियों को भी पढ़ा-लिखाकर आगे बढ़ाया जाए तो वह भी बेटों से कम नहीं है। पहले तो मन में कई तरह के विचार आए, लेकिन बाद में परिजनों की सहमति से त्याग की नींव रख दी। इसी सोच के साथ पिछले दिनों पत्नी की नसबंदी करा ली। इस प्रेरणा के लिए इनके पिता व सेवानिवृत्त कैप्टन प्रेमसिंह व लक्ष्मी देवी की बड़ी भूमिका रही है। कई लोग सरकारी सेवा में जाने, अन्य कारणों से फैसला कर लेते हैं।

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अब बदल गया दौर

पुराने जमाने में तो बेटे के बिना परिवार की कल्पना ही नहीं की जाती। लेकिन अब दौर बदल गया है। यह कहना है कि लक्ष्मी देवी का। उनका कहना है कि पुराने जमाने में तो बेटे-बेटियों में काफी भेदभाव किया जाता था।

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अब चलाएंगे मुहिम

सुभाष का कहना है नसबंदी के दौरान कई सामाजिक संस्थाओं से उनका सम्पर्क हुआ है। वह इस तरह के परिवारों की कहानियों को गांव-ढाणियों तक लेकर जाएंगे, ताकि दूसरे लोग भी प्रेरणा ले सकें। सेव गल्र्स चाइल्ड, हमारी बेटियां सहित कई संस्थाएं इनके परिवार की डॉक्यूमेन्टरी बनाने आएंगी।

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