23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पहले अकेले निकलते थे ठाकुरजी…अब सामूहिक विहार करेंगे

298 साल में पहली बार सामूहिक विहार को निकलेंगे ठाकुरजीजलझूलनी एकादशी पर शाम सवा पांच बजे सुभाष चौक से निकलेगी सामूहिक शोभायात्रा

2 min read
Google source verification
पहले अकेले निकलते थे ठाकुरजी...अब सामूहिक विहार करेंगे

पहले अकेले निकलते थे ठाकुरजी...अब सामूहिक विहार करेंगे

सीकर. जन्माष्टमी पर जन्मे भगवान श्रीकृष्ण मंगलवार को जल विहार को निकलेंगे। जलझूलनी एकादशी पर शोभायात्रा के रूप में होने वाला ये विहार दो मायनों में खास होगा। पहला तो ये विहार कोरोना के दो साल के विराम के बाद होगा। दूसरा, 298 साल के इतिहास में पहली बार शहर के सभी मंदिरों के ठाकुरजी एक साथ भ्रमण पर निकलेंगे। यानी आज ठाकुरजी अपने मंदिरों से सीधे जल विहार के लिए नहीं जाएंगे, बल्कि सुभाष चौक स्थित गोपीनाथजी के मंदिर पहुंचने के बाद सामूहिक विहार को निकलेंगे। गोपीनाथ मंदिर, श्री कल्याण धाम मंदिर, श्री जानकी वल्लभ मंदिर, श्री राधादामोदर मंदिर तथा श्री गोपीनाथ मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों के महंतों ने मिलकर ये फैसला लिया है। ऐसे में आज ये आयोजन अनूठा व नए आयाम लिए होगा।
साथ होगा स्नान व अभिषेक
गोपीनाथ मंदिर के महंत सुरेन्द्र गोस्वामी ने बताया कि ठाकुरजी की शोभायात्रा शाम सवा पांच बजे सुभाष चौक से रवाना होगी। जो नानी गेट से सालासर बस स्टैंड होते हुए नेहरु पार्क पहुंचेगी। यहां ठाकुरजी का सामूहिक स्नान व अभिषेक होगा। सामूहिक आरती के बाद वे अपने मंदिरों में वापस लौट जाएंगे।

बदलेगी 298 साल पुरानी परंपरा, सभी मंदिरों को दिया निमंत्रण
जलझूलनी एकादशी पर ठाकुरजी के जल विहार की परंपरा शहर में 298 साल पुरानी है। जिसमें अलग- अलग मंदिरों से भगवान की शोभायात्रा सीधे ही नेहरु पार्क स्थित छोटा तालाब पहुंचती रही है। पर इतिहास में पहली बार परंपरा में बदलाव कर आयोजन को सामूहिक किया जा रहा है। जिसके लिए अन्य मंदिरों के पुजारियों को भी शोभायात्रा का निमंत्रण दिया गया है। बहली पर निकलती थी शोभायात्रा

इतिहासकार महावीर पुरोहित के अनुसार सीकर में नगर भ्रमण की परंपरा गोपीनाथ मंदिर के निर्माण के साथ शुरू हुई थी। उस समय शोभायात्रा बहली यानी बैल गाड़ी पर निकाली जाती थी। जिसमें कपड़े का मंडप बनाकर उसमें ठाकुरजी को विराजित कर विहार के लिए छोटा तालाब स्थित जल के पास ले जाया जाता था। उसके बाद नए मंदिरों के निर्माण के साथ उनसे भी अलग अलग शोभायात्रा निकाली जाएगी।
--------------------------------

एकादशी पर बन रहे हैं चार शुभ योग

जलझूलनी एकादशी पर इस बार पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र होने से मित्र और मानस नाम के दो शुभ योग बनेंगे। इस दिन आयुष्मान और रवियोग भी रहेगा। सूर्य, बुध, गुरु और शनि अपनी ही राशियों में रहेंगे। इन चार ग्रहों का स्वराशि में होना बड़ा शुभ संयोग है। पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि परिवर्तिनी एकादशी पर ग्रहों का ऐसा संयोग कई सालों में एक बार बनता है। ऐसी मान्यता है मैया यशोदा भगवान कृष्ण के जन्म के बाद पहली बार जलवा पूजन करने निकट के नदी ,तालाब और सरोवर में जाती है। शास्त्रों में परिवर्तिनी एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। एक मान्यता यह भी है कि चातुर्मास के दौरान जब भगवान विष्णु आराम कर रहे होते तो वे भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को करवट लेते हैं। इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा से समृद्धि बढ़ती है।


बड़ी खबरें

View All

सीकर

राजस्थान न्यूज़

ट्रेंडिंग